अमिताभ बच्चन के माता-पिता क्यों उनका नाम रखने वाले थे 'इंकलाब', एक्टर ने बताई वजह

हाल ही में, एक्टर अमिताभ बच्चन ने अपने क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति 14' के लेटेस्ट एपिसोड में खुलासा किया है कि उनके माता-पिता ने शुरुआत में उनका नाम 'इंकलाब' क्यों रखा था। आइए आपको बताते हैं।

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By Ruchi Upadhyay Last Updated:

अमिताभ बच्चन के माता-पिता क्यों उनका नाम रखने वाले थे 'इंकलाब', एक्टर ने बताई वजह

'सोनी टीवी' के मशहूर क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति 14' के मंच पर बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) अक्सर अपनी लाइफ के अनकहे किस्से शेयर करते रहते हैं। कई बार ये कहानियां फैंस को भावुक करती हैं। वहीं कई बार बिग बी की बातें सुनकर लोग ठहाके लगाने पर मजबूर हो जाते हैं। इस दफा भी बच्चन साहब ने अपनी जिंदगी का एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया है। 

Amitbah Bachchan

अमिताभ बच्चन का नाम क्यों चुना गया था 'इंकलाब' 

दरअसल, 'केबीसी' के लेटेस्ट एपिसोड में महानायक से एक प्रतियोगी निपुन राजन ने उनका नाम पूछा था। इस पर बिग बी ने खुलासा किया कि उनके माता-पिता और रिश्तेदार उनका नाम 'इंकलाब' रखने वाले थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि उनका जन्म 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान हुआ था। हालांकि, बाद में उस युग के एक प्रसिद्ध कवि ने बच्चन के घर का दौरा किया और उनका नाम 'अमिताभ' रखा गया।

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खैर, यह पहली बार नहीं है जब अमिताभ बच्चन ने शो के सेट पर अपने जीवन के बारे में कोई किस्सा सुनाया हो। इससे पहले, एक एपिसोड में अमिताभ ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए खुलासा किया था कि जब वह एक बच्चे थे, तो उनके पिता हरिवंश उन्हें मॉर्निंग वॉक के लिए ले जाते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

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अमिताभ बच्चन ने 'जलसा' के लॉन में बनवाया है बेंच

इससे पहले, अमिताभ बच्चन ने अपने पिता की 115वीं बर्थ एनिवर्सरी पर उनके सम्मान में अपने घर 'जलसा' के लॉन में उनकी प्रसिद्ध किताब 'मधुशाला' के आकार की एक बेंच बनवाई है, जिसकी एक झलक उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर की थी। उन्होंने इस बारे में अपने ब्लॉग में भी बताया था। उन्होंने लिखा था, ''व्रोकला पोलैंड में किताब 'मधुशाला' के आकार में एक पत्थर की बनी बेंच, जिसे काफी मेहनत और अनोखे तरीके से बनाया गया है, जिसका वजन लगभग एक टन है। इस व्रोकला को पोलैंड से भारत लाया गया है। इसे भारत लाने में मदद करने के लिए जनरल कार्तिकेय जौहरी का धन्यवाद। उन्होंने बाबूजी की इस प्रतिमा को बनवाने में बहुत मेहनत की है और इसके साथ ही उन्होंने बाबूजी के नाम से आधुनिक हिंदी साहित्य का रिसर्च सेंटर भी खोला है।''

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खैर, हमें तो अमिताभ बच्चन के ये मजेदार किस्से सुनना बेहद पसंद है। फिलहाल, आपको एक्टर द्वारा बताया गया ये किस्सा कैसा लगा? हमें कमेंट में जरूर बताएं। 

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