By Tripti Sharma Last Updated:
कहते हैं कि दुनिया में किसी भी माता-पिता के लिए उसके बच्चे से बड़ा कुछ नहीं होता। माता-पिता बनने के बाद हर पेरेंट्स की जिंदगी बच्चे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। ऐसे में अगर किसी वजह से बच्चे की मृत्यु हो जाए, तो मानो माता-पिता की पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है। कुछ ऐसी ही स्थिति थी गजल सम्राट जगजीत सिंह (Jagjit Singh) और उनकी पत्नी चित्रा सिंह (Chitra Singh) की। दोनों एक खुशहाल जीवन जी रहे थे, लेकिन जब उनके बेटे का निधन हुआ तो ऐसा लगा कि खुदा को उनकी खुशहाल जिंदगी मंजूर नहीं थी, जिसकी वजह से उन्होंने एक दर्दनाक हादसे में अपने एकलौते बेटे विवेक सिंह को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया था।
जगजीत सिंह और चित्रा सिंह के बेटे विवेक की साल 1990 में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। इस हादसे की वजह से दोनों ही सदमे में चले गए थे। यही नहीं, दोनों ने तो गाने भी गाने बंद कर दिए थे। हालांकि, जगजीत को इस सदमे से उभरने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग गया। यह समय दोनों के लिए जिंदगी का सबसे बुरा दौर था, जिसकी कल्पना जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने कभी भी नहीं की थी। जगजीत सिंह की गिनती संगीत के ऐसे फनकारों में होती थी, जोकि दिल, मुहब्बत, जज्बात, जुदाई को बेहतरीन तरीके से सुरों के जरिए कहना जानते थे। (ये भी पढ़ें: बॉलीवुड और टीवी की इन मम्मियों ने सिजेरियन डिलीवरी से दिया बच्चों को जन्म, यहां चेक करें पूरी लिस्ट)
जिस शाम जगजीत और चित्रा को बेटे की मौत के बारे में पता चला, उस समय जगजीत गजल गाते-गाते रो रहे थे, लेकिन जैसे ही वो रुके तभी उन्हें बेटे की मौत की खबर मालूम चली। उस शाम वो एक महफ़िल में गजल गा रहे थे। यह महफ़िल अपने अंतिम चरण में थी कि तभी अभिनेत्री अंजू महेंद्रू ने जगजीत सिंह से ‘दर्द से मेरा दामन भर दे’ गजल सुनाने की फरमाइश की। हालांकि, उनका ये गजल गाने का मन बिल्कुल नहीं था। मगर मना करना भी उन्होंने मुनासिब नहीं समझा और वो गज़ल गाने लगे।
जब उन्होंने गज़ल पूरी कर ली, तब उन्हें पता चला कि उनके बेटे विवेक की लंदन में कार हादसे के दौरान मौत हो गई। इस खबर ने उन्हें और चित्रा सिंह को खामोश कर दिया। दोनों ने गायकी को अलविदा कह दिया। मगर जगजीत ज्यादा समय तक बेटे को खोने के ग़म को अपने सीने में छिपा नहीं पाए और इसके बाद फिर से उन्होंने गायकी शुरू की। बेटे के जाने के 6 महीने बाद जगजीत सिंह ने ‘चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए’ के जरिए वापसी की। (ये भी पढ़ें: किसी खूबसूरत महल से कम नहीं है अक्षय कुमार-ट्विंकल खन्ना का घर, यहां देखिए तस्वीरें)
मालूम हो, जगजीत सिंह ने जितनी सुर्खियां अपनी गायकी को लेकर बटोरीं, उससे कई ज्यादा चर्चे उनकी निजी जिंदगी के होते थे। इस बात की जानकारी बेहद कम लोगों को है कि जगजीत चित्रा सिंह के दूसरे पति थे। जगजीत से पहले उनकी शादी ब्रिटानिया बिस्किट में एक बड़े अधिकारी देबू प्रसाद दत्ता से हुई थी। चित्रा और देबू को साथ में एक बेटी भी है, जिसका नाम मोना है। वैसे जगजीत और चित्रा की प्रेम कहानी काफी अनोखी रही। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों की मुलाकात गायकी की वजह से ही हुई थी।
जगजीत अक्सर ही चित्रा के पड़ोसी के घर आया करते थे। चित्रा मुंबई में जिस जगह रहती थीं, उसी के सामने एक गुजराती परिवार रहता था। यहां जगजीत रिकॉर्डिंग करने के लिए आया करते थे। एक बार चित्रा ने रिकॉर्डिंग के समय उनकी आवाज सुनी थी, जिसके बाद उन्होंने अपने पड़ोसी से पूछा था कि ये आवाज किसकी है। उनके द्वारा इतना पूछने पर ही वह गुजरती परिवार जगजीत की जमकर बढ़ाई करने लगा। हालांकि, तब उन्हें जगजीत की आवाज पसंद नहीं आई और वो उनकी आवाज को गंदा बताकर वहां से चली गईं। (ये भी पढ़ें: प्यार और इकरार के बाद भी अधूरी थी राज कपूर-नरगिस की प्रेम कहानी, जानिए क्यों)
इसके बाद दोनों की मुलाकात महिंदरजीत सिंह ने करवाई थी। दरअसल तब चित्रा के पति देबू काम के सिलसिले से गुलिस्तान में रहते थे। ऐसे में चित्रा के घर पर शोकेस रिकॉर्डिंग थी। तब महिंदरजीत ने स्टूडियो बुक किया था। उनके साथ जगजीत भी चित्रा के घर पहुंचे थे। जब जगजीत की रिकॉर्डिंग का समय आया, तब महिंदरजीत ने कहा कि पहले जगजीत अकेले गाएंगे, इसके बाद उन्हें चित्रा के साथ डुएट गाना है। महिंदरजीत की ये बात सुनकर चित्रा साफ मना कर देती हैं। वह कहती हैं कि वो उनके साथ नहीं गाएंगी क्योंकि उनकी आवाज भारी है। चित्रा की ये बात सुनकर जगजीत ने भी उनके साथ गाना गाने को मना कर दिया था।
चित्रा के घर पर हुई रिकॉर्डिंग के बाद जगजीत और उनकी मुलाकात एक स्टूडियो में हुई थी। बात साल 1967 की है। दोनों एक ही स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करने पहुंचे थे। इस दौरान दोनों की मुलाकात हुई। चित्रा ने रिकॉर्डिंग के बाद जगजीत सिंह से कहा कि उनका ड्राइवर उन्हें घर तक छोड़ देगा। यह सुनकर जगजीत चित्रा के साथ उनकी कार में बैठ गए। इस दौरान चित्रा ने उन्हें अपने घर चाय पर बुलाया। ऐसे में जगजीत उनके घर पहुंचे। जब चित्रा किचन में चाय बना रही थीं, तब उन्होंने जगजीत को एक गजल गाते हुए सुन लिया। गजल सुनते ही चित्रा जगजीत से पूछती हैं कि ये किसकी आवाज है, जगजीत कहते हैं 'मेरी है'। चित्रा पहली बार जगजीत से इंप्रेस हो जाती हैं।
इसके बाद जगजीत और चित्रा अक्सर मिलने लगे और एक-दूसरे को पसंद करने लगे। जहां एक ओर चित्रा की जगजीत से नजदीकियां बढ़ती गईं, वही दूसरी ओर उनकी पति देबू से दूरियां बढ़ती गई। देबू भी किसी और को पसंद करने लगे थे। इसके बाद चित्रा और देबू का आपसी रजामंदी से तलाक हो गया। साल 1970 में देबू ने दूसरी शादी कर ली। जगजीत देबू के पास गए और उनसे कहा, मैं चित्रा से शादी करना चाहता हूं। जब उन्होंने इजाजत दी तब दोनों ने शादी कर ली। इस शादी का खर्च महज 30 रुपए आया। तबला प्लेयर हरीश ने पुजारी का इंतजाम किया था और गजल गायक भूपिंदर सिंह दो माला और मिठाई लाए थे। (ये भी पढ़ें: 5 साल का रिलेशनशिप फिर सगाई, आखिर क्यों हुआ था अभिषेक-करिश्मा का ब्रेकअप)
8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की लव स्टोरी वाकई किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। भले ही 10 अक्टूबर 2011 को मस्तिष्क आघात की वजह से जगजीत सिंह का निधन हो गया हो, लेकिन उनकी यादें आज भी ताजा हैं। ऐसे में जब भी किसी के जुबान पर गजल का नाम आता है, तो वो शख्स सबसे पहले जगजीत सिंह को याद करता है। आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताना न भूलें, हमारे लिए कोई सलाह है तो जरूर दें।