हिंदू नववधू के लिए बेहद खास है ‘सोलह श्रृंगार’, जानिए इसका असली महत्व

सोलह श्रृंगार का जिक्र ऋग्वेद में भी किया गया है और इसमें ये कहा गया है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं भाग्य को भी बढ़ाता है। नई-नवेली दुल्हन को सोलह श्रृंगार करना होता है। दुल्हन के लिए ये शुभ माना जाता है। जानिए इसका असली महत्व।

img

By Manali Rastogi Last Updated:

हिंदू नववधू के लिए बेहद खास है ‘सोलह श्रृंगार’, जानिए इसका असली महत्व

सोलह श्रृंगार का हिंदू सभ्यता में एक अलग महत्व ही होता है। हिंदू महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार बेहद जरुरी होता है और इसका सीधा संबंध प्राचीनकाल से है। सोलह श्रृंगार करना एक प्राचीन परंपरा है। पुराणों के अनुसार, सोलह श्रृंगार घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। सोलह श्रृंगार का जिक्र ऋग्वेद में भी किया गया है और इसमें ये कहा गया है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं भाग्य को भी बढ़ाता है। सोलह श्रृंगार का सीधा संबंध शादी से भी है। नई-नवेली दुल्हन को सोलह श्रृंगार करना होता है। दुल्हन के लिए ये शुभ माना जाता है।

बता दें कि महिलाओं को प्राचीन काल से ही घर-परिवार की मान-प्रतिष्ठा का केंद्र माना जाता रहा है। यही नहीं, शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि महिलाओं को घर में पूर्ण साज-सज्जा के साथ रहना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि घर की मान-प्रतिष्ठा बनी रहे। शास्त्रों के अनुसार, महिलाओं को अनिवार्य रूप से हर दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए। मगर आज के समय में हर दिन सोलह श्रृंगार कर पाना थोड़ा मुश्किल सा लगता है, लेकिन शादी के कुछ समय बाद तक नववधू पूरी तरह से सोलह श्रृंगार की हुई नजर आती हैं।

ये भी पढ़ें: प्यार और इकरार के बाद भी अधूरी थी राज कपूर-नरगिस की प्रेम कहानी, जानिए क्यों

क्या होता है सोलह श्रृंगार?

सोलह श्रृंगार एक ऐसी रस्म है, जिसके तहत महिलाएं सिर से लेकर पैर तक कुछ न कुछ सुहाग की निशानी को पहनती हैं। इसमें बिंदी, चूड़ी, सिंदूर और पायल जैसी चीजें शामिल हैं। ये सभी सुहाग के चिन्ह होते हैं। यह देवी लक्ष्मी के साथ जुड़ी हुई स्त्रीत्व और उर्वरता का प्रतीक है। माता लक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जोकि धन, संपदा, शांति और समृधि की देवी मानी जाती हैं।

आइए, जानते हैं आखिर कौन-कौन से हैं ये श्रृंगार और क्या है इनका महत्व...

#1. कुमकुम या बिंदी

माथे पर कुमकुम या बिंदी लगाना पुराणों में काफी शुभ माना गया है। कुमकुम या सिंदूर से सुहागिन महिलाएं अपने माथे पर बिंदी लगाती हैं। हालांकि, अब बिंदी लगाने के लिए कुमकुम या सिंदूर का इस्तेमाल कम हो गया है। अब स्टीकर बिंदी का चलन बढ़ गया है, ऐसे में आपके पास अब चॉइस है। बिंदी लगाने के लिए आप सिंदूर या स्टीकर बिंदी में से किसी का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। 

#2. सिंदूर

पुराणों में सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना गया है। असल में सिंदूर नारंगी रंग का होता है, लेकिन अब महिलाएं ज्यादातर सिंदूर लगाने के लिए लाल रंग का इस्तेमाल करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, सुहागन महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है।

ये भी पढ़ें: 20 से 52 लाख तक के महंगे मंगलसूत्र पहनती हैं ये 10 बॉलीवुड अभिनेत्रियां, देखिए उनकी झलक

#3. काजल

आंखें मन का आइना होती हैं। ऐसे में अगर हम अपनी आंखों पर ध्यान नहीं देंगे तो हमारी खूबसूरती में चार चांद कैसे लगेंगे। इसलिए हम काजल का इस्तेमाल करते हैं। वैसे काजल एक ऐसा श्रृंगार है, जिसे आंखों पर लगाने से चहरे की खूबसूरती तो बढ़ती ही है, साथ में इसे सोलह श्रृंगार में भी शामिल किया गया है। माना जाता है कि काजल बुरी नजर से बचाने का काम करता है। 

#4. मेहंदी

हर सुहागन का श्रृंगार तब तक अधूरा है, जब तक उसके हाथों में मेहंदी ना हो। किसी भी शुभ काम से पहले सुहागन महिलाएं हाथों और पैरों मे मेहंदी लगाती हैं। मान्यताओं के अनुसार, नई-नवेली दुल्हनों के हाथों में मेहंदी का रंग जितना गाढ़ा रचता है, उसका पति भी उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।

#5. ब्राइडल आउटफिट

लाल रंग का जोड़ा भी सुहाग का प्रतीक माना गया है। लाल रंग माता रानी को बहुत प्रिय है। ऐसे में दुल्हन शादी में जो भी जोड़ा पहनती हैं, उसका रंग लाल होता है। हालांकि, आज के समय में कई रंगों में ब्राइडल आउटफिट आने लगे हैं, जोकि देखने में काफी सुंदर होते हैं। अब दुल्हनें अपने मन-मुताबिक ही लहंगे पहनना पसंद करती हैं।

#6. मंगलसूत्र

शादीशुदा महिलाओं का सबसे ख़ास और पवित्र गहना होता है मंगलसूत्र। इसके बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा है। इसके काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं।

ये भी पढ़ें: 5 साल का रिलेशनशिप फिर सगाई, आखिर क्यों हुआ था अभिषेक-करिश्मा का ब्रेकअप

#7. नथ

नाक में आभूषण पहनना सुहागिन स्त्रियों के लिए जरुरी होता है। वैसे तो महिलाएं नाक में लौंग पहनती हैं, लेकिन नई-नवेली दुल्हनें शादी में नथ पहनती हैं।  

#8. मांग टीका

सिंदूर लगाने और मांग टीका पहनने के बाद हर महिला की सुंदरता में निखार आ जाता है। मांग टीके को माथे के बीचों-बीच पहना जाता है। मांग टीके को माथे के बीचों-बीच पहने के पीछे भी एक मान्यता है। इसके अनुसार, मांग टीका सिर के बीचों-बीच पहनने से शादी के बाद नववधू अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चलती है।

#9. गजरा

गजरा बालों को संवारने और उनकी सुंदरता को बढ़ाने क लिए लगाया जाता है। मां दुर्गा को मोगरे का गजरा बहुत प्रिय है, इसलिए इसे भी सोलह श्रृंगार में शामिल किया गया है। गजरा लगाने के लिए आप चाहे तो जूड़ा बनाकर उसपर गजरा लगा सकती हैं। इसके अलावा आप चोटी बनाने के बाद भी इसे लगा सकती हैं।

#10. झुमके

कानों में झुमके पहनना भी नववधुओं के लिए शुभ माना जाता है। कानों में पहने हुए झुमके नववधुओं की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पुराणों के अनुसार, शादी के बाद नववधू को पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रखने के लिए झुमके पहनाए जाते हैं।

#11. बाजूबंद

बाजूबंद नई-नवेली दुल्हनें बाजुओं पर पहनती हैं। बाजूबंद का आकार हाथ में पहने जाने वाले कड़े की तरह का होता है। ये आभूषण सोने या चांदी का होता है। पहले तो महिलाएं हर समय बाजूबंद पहने रहती थीं, लेकिन आज के समय में ऐसा मुमकिन नहीं है। इसलिए महिलाएं खास मौकों पर ही इनको पहनती हैं। बाजूबंद पहनने के पीछे ये मान्यता है कि इससे परिवार के धन की रक्षा होती है।

ये भी पढ़ें: बॉलीवुड के 12 फेमस लव ट्रायंगल जिनकी वजह से खराब हो गए कई रिश्ते

#12. चूड़ियां

सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं चूड़ियां। ऐसी मान्यता है कि सुहागन महिलाओं की कलाइयां सूनी नहीं रहनी चाहिए। वो हमेशा चूड़ियों से भरी होनी चाहिए। बता दें कि चूड़ियों के अलग-अलग रंगों के अलग-अलग महत्व होते हैं। अगर लाल रंग की चूड़ियों की बात करें तो ये इसका संकेत देती हैं कि शादी के बाद वह पूरी तरह खुश और संतुष्ट हैं, जबकि हरे रंग की चूड़ियां इस बात का प्रतीक हैं कि शादी के बाद उनके परिवार में समृधि आएगी।

#13. अंगूठी

शादी से पहले सगाई की एक रस्म होती है, जिसमें वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। अंगूठी पहनाने का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंथ रामायण में भी है। अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।

#14. कमरबंद

कमर में पहना जाने वाले आभूषण को कमरबंद कहते हैं। शादी के बाद महिलाएं इसे पहनती हैं। कमरबंध में नववधू चाबियों का गुच्छा लटकाकर रखती है। ऐसी मान्यता है कि कमरबंद पहनना इस बात को दर्शाता है कि सुहागन अब अपने घर की मालिकिन है।

#15. बिछुआ

इसे कई जगहों पर बिछिया भी कहा जाता है। बिछुआ को पैरों की अंगुलियों में पहना जाता है। यह चांदी का एक आभूषण होता है। मान्यताओं के अनुसार, शादी के बाद आने वाली सभी समस्याओं का दुल्हन हिम्मत के साथ मुकाबला कर सके. ऐसे में वो बिछुआ को पैरों में पहनती हैं।  

#16. पायल

अब बात करते हैं पायल की। चांदी से बनी पायल भी सुहागन महिलाओं के लिए शुभ मानी जाती है। खास बात ये है कि पायल और बिछुआ को चांदी से ही बनाया जाता है क्योंकि सोने को हिंदू धर्म में पवित्र धातु का स्थान दिया गया है। सोने का इस्तेमाल सिर्फ देवी-देवता के लिए मुकुट बनाने के लिए किया जाता था। ऐसे में अगर महिलाएं पैर में सोना पहनती हैं तो वो भगवान का अपमान माना जाता है।

ये भी पढ़ें: लाइमलाइट से दूर रहती हैं इन 10 फेमस बॉलीवुड एक्टर्स की पत्नियां

तो अब आपको सोलह श्रृंगार के बारे में सब कुछ मालूम हो गया होगा। वैसे शादी के बाद सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हालांकि, आजकल की बिजी लाइफ काफी चीजें बदल गई हैं, लेकिन आज भी महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना काफी पसंद है।

BollywoodShaadis.com © 2024, Red Hot Web Gems (I) Pvt Ltd, All Rights Reserved.