By Ritu Singh Last Updated:
एक्टर शेखर सुमन (Shekhar Suman) बॉलीवुड के साथ ही छोटे पर्दे पर भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेर चुके हैं। शेखर सुमन न केवल एक एक्टर हैं, बल्कि एंकर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के बाद अब पॉलिटिक्स में भी सक्रिय हैं। बहुआयामी प्रतिभा के धनी शेखर सुमन का जन्म 14 अगस्त 1954 को बिहार में हुआ था। शेखर सुमन ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की और उसके बाद वे टीवी शो ‘वाह ज़नाब’ में भी नजर आए। इसके बाद उनको बॉलीवुड में चांस मिला और उन्होंने फिल्म ‘उत्सव’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़े शेखर को यहीं पर अपना प्यार भी मिला। शेखर ने यहीं पर अपनी पत्नी अलका को पहली बार देखा और उनके दीवाने हो गए। यही नहीं, अलका ने भी उन्हें पहली ही नजर में पसंद कर लिया था और फिर यहीं से शुरू हो गई दोनों की प्रेम कहानी। तो आइए आज हम आपको शेखर सुमन की लव स्टोरी के बारे में बताते हैं।
शेखर और अलका दोनों ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट थे। दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी। शेखर ने पहली बार जब अलका को देखा, तभी वो उनके प्यार में पड़ गए थे। इस बारे में शेखर ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘मैं अलका से दिल्ली यूनिवर्सिटी में मिला। ये बात 1980 की है, मैं रामजस कॉलेज में था और अलका इंद्रप्रस्थ कॉलेज में थीं। विंटर फेस्टिवल में एक कॉमन दोस्त ने हमें मिलाया था, जबकि इस फेस्टिवल में मेरा जाने का मन नहीं था, लेकिन मेरा दोस्त जबरदस्ती मुझे लेकर गया था। अलका से मिलने के बाद मुझे उसी पल उनसे प्यार हो गया और लगा कि शायद यह सब ऊपर से तय था। मुझे अलका से मिलना था, इसलिए मैं न चाहते हुए भी वहां गया था।’
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एक अन्य इंटरव्यू में शेखर ने कहा था कि, ‘मैं अलका की सादगी पर ही मर मिटा था। दिल्ली जैसे शहर में रहने के बावजूद वह रिजर्व नेचर की थीं। मैं मिडिल क्लास से हूं। अपनी मां, बुआ या बहन को मैंने जैसे देखा, वैसी ही पत्नी भी चाहता था।’ शेखर से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए अलका ने कहा था कि, जब वो शेखर से मिलीं तो उन्हें भी यही लगा था कि यही वह शख्स हैं, जिसके साथ वे अपनी पूरी लाइफ गुजार सकती हैं। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार।
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एक दो मुलाकातों के बाद कपल ने डेटिंग भी शुरू दी। कुछ समय डेटिंग के बाद दोनों ने अपने रिलेशन के बारे में पैरेंट्स को बताया। अलका ने कहा था कि, हम अलग-अलग जाति और प्रांत के थे, लिहाजा परिवार वालों को मनाने में समय लगा। अंत में सब तैयार हो गए, लेकिन वे चाहते थे कि कपल पहले अपनी लाइफ में सेटल हो जाए तब शादी करे, क्योंकि शेखर और अलका काफी यंग एज में एक-दूसरे से जुड़ गए थे। ऐसे में स्वाभाविक था कि, उनके पैरेंट्स तुरंत शादी को राजी नहीं थे। कपल ने भी अपने पैरेंट्स की बात मानी और थोड़ा इंतजार किया। कुछ समय बाद अलका ने फैशन डिजाइनर के रूप में काम करना शुरू कर दिया और शेखर को 'श्री राम सेंटर', नई दिल्ली से 600 रुपये का वजीफा मिलने लगा। फिर क्या था कपल ने 4 मई, 1983 को शादी कर ली।
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शुरुआती कुछ दिन तो कपल ने बहुत ही खुशियों के साथ गुजारे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी लाइफ में मुश्किलें आने लगीं, लेकिन दोनों ने परेशानियों में भी अपने प्यार को कम नहीं होने दिया। शादी के करीब पांच साल बाद शेखर के पास कोई काम नहीं था और अलका परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थीं। इसी बीच उनका एक बेटा भी हुआ। परेशानी तब और बढ़ी, जब कपल के बेटे आयुष में एक गंभीर बीमारी का पता चला। उनके बेटे को एंडोकार्डिअल मायोफाइब्रोसिस नाम की बीमारी थी। इसके चलते परिवार को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। दोनों की तमाम कोशिश के बावजूद वे अपने बेटे को नहीं बचा सके और बीमारी से लड़ते हुए उसकी मौत हो गई।
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एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में शेखर ने बताया था कि, "जब आयुष ने हमें छोड़ दिया, तो हमें विश्वासघात सा महसूस हुआ था। मैं जीना ही नहीं चाहता था और अलका से साथ मर जाने के लिए कहता था, लेकिन उसी वक्त हमें अहसास हुआ कि हमें अपने परिवार के लिए जीना चाहिए। इस तरह की घटना परिवार को करीब लाती है।" वहीं, शेखर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, “बेटे की मौत के बाद मैं टूट गया था। कोई भी अनहोनी हो सकती थी। ऐसे समय में अलका ने मजबूती से परिवार को सहेजे रखा, जबकि वह तो मां थी। वह साथ न होती तो मैं खत्म हो चुका होता। ऐसे कई मौके आए, जब अलका मेरी ताकत बनीं।”
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जीवन की बाधाओं के खिलाफ एक लंबी लड़ाई के बाद कपल के जीवन में दोबारा खुशियां आईं। कपल को ईश्वर ने दोबारा बेटे का उपहार दिया। उन्होंने उसका नाम अध्ययन रखा। इसी दौरान शेखर का अपना पहला बड़ा हिट टीवी शो ‘देख भाई देख’ सुपरहिट साबित हुआ। इसके बाद शेखर फिल्म इंडस्ट्री में भी छाने लगे। अलका अपने बेटे और परिवार के साथ फैशन डिजाइनिंग का काम भी देखती रहीं।
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तमाम परेशानियों के बावजूद इस कपल के बीच प्यार कभी कम नहीं हुआ, क्योंकि दोनों ने एक-दूसरे को हमेशा पति-पत्नी से ज्यादा दोस्त समझा था। शेखर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, "वो लोग हमेशा भाग्यशाली होते हैं, जो अपने जीवनसाथी के रूप में एक दोस्त को पाते हैं। ऐसे में जीवन आसान हो जाता है और कोई भी मुश्किल असंभव नहीं लगती।"
शेखर और अलका सुमन की शादी को 38 साल हो चुके हैं और दोनों के बीच आज भी पहले दिन जैसा ही प्यार है। इसके पीछे ये कपल यही वजह मानता है कि, दोनों ही एक-दूसरे के त्याग और बलिदान को स्वीकार करते हैं और उनके लिए उनका परिवार बहुत कीमती है। शेखर ने अपने रिश्ते का जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि, "हमारे बीच वाद-विवाद की नौबत कम ही आती है। हमारी सोच एक सी है। अलका ने अलग से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, बल्कि ऐसा खुद ब खुद होता है। उन्हें फैशन डिजाइनिंग का शौक है और मैं उन्हें सपोर्ट करता हूं। एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का ख्याल रखते हुए आगे बढ़ना जरूरी है। यही तो खूबसूरती है रिश्ते की। तकरार है, प्यार है, इसके बावजूद रिश्ता बना रहता है।"
इसके आगे शेखर ने कहा था कि, "मुझे लगता है कि रोमांस कभी फैशन से बाहर नहीं हो सकता। हमारी रोमांटिक जोड़ी है। हम अब भी हाथ पकड़ कर चलते हैं और कैंडल लाइट डिनर करते हैं। हम जब मिले तो भी दोस्त थे और आज भी दोस्त ही हैं।” एक इंटरव्यू में अलका ने बताया था कि, “इनमें न कहने की आदत नहीं है। घर खरीदना था तो लोखंडवाला में एक फ्लैट का पूरा फ्लोर पसंद आ गया। जेब में भले ही पैसे न हों, लेकिन सोच लिया तो सोच लिया। इनका एक ही मंत्र है-ज्यादा सोचो मत, गड़बड़ हो जाता है। जिंदगी रेस की तरह है, इसमें दौड़ना है और जीतना है। इन्होंने प्लान 'बी' कभी नहीं बनाया।”
शेखर और अलका सुमन का प्यार और दोस्ती हर किसी के लिए एक नजीर है। जीवन में इस कपल ने खुशियां और दुख साथ झेले और एक-दूसरे का सहारा बन कर नई उम्मीद पैदा की। तो आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी? हमें जरूर बताएं और कोई सुझाव हो तो वह भी अवश्य दें।