नैपकिन पर कविता लिखकर भेजी थी सोनिया के पास, पहली नज़र में ही दिल दे बैठे थे राजीव गांधी

राजीव गांधी और सोनिया गांधी की प्रेम कहानी जुनून और प्यार से भरपूर है, आइये हम इन दिग्गज राजनेताओं की कहानी के बारे में आपको बताते हैं।

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By Shashwat Mishra Last Updated:

नैपकिन पर कविता लिखकर भेजी थी सोनिया के पास, पहली नज़र में ही दिल दे बैठे थे राजीव गांधी

'भाग्य', यह मात्र एक शब्द नहीं है, यह लोगों के साथ घटित होने वाली हर एक घटना का शाश्वत सत्य है। तभी तो दो अलग-अलग देशों, अलग-अलग संस्कृतियों और अलग-अलग वातावरण में रहने के बावजूद, दो लोग जिसकी वजह से मिले, वो उनका भाग्य ही था। हां, हम बात कर रहे हैं, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी की प्रेम कहानी के बारे में, जिसके बारे में बेहद कम लोगों को ही पता होगा।

यह एक ऐसी प्रेम कहानी है, जो हिंदुस्तान के इतिहास में सदा के लिए राजनीति का एक हिस्सा बन गयी। राजीव गांधी और सोनिया गांधी की प्रेम कहानी जुनून और प्यार से भरपूर है, आइये हम इन दिग्गज राजनेताओं की कहानी के बारे में आपको बताते हैं।

देखते ही दिल दे बैठे राजीव

राजीव गांधी लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। यह उस समय की बात है, जब राजीव गांधी ने एक खूबसूरत इटालियन लड़की को कैंब्रिज के ग्रीक रेस्टोरेंट में बैठा देखा और देखते ही उस लड़की को अपना दिल दे बैठे। वह इटालियन लड़की कोई और नहीं बल्कि, भविष्य में होने वाली राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ही थीं। राजीव गांधी अपने समय के स्मार्ट और गुड़ लुकिंग दिखने वाले शख़्स थे। सोनिया को देखने के बाद उन्होंने रेस्टोरेंट के मालिक चार्ल्स एंटोनी को बुलाया और उनसे सोनिया के पास वाली टेबल पर बैठने की मांग की, जिसके लिए चार्ल्स ने राजीव से मोटी रकम भी ली।

उस दिन सोनिया को देखकर राजीव इतना उनमें खो गए, कि उन्होंने तुरंत एक पेपर नैपकिन पर कविता लिखा और उस पेपर नैपकिन को सबसे अच्छी शराब की बोतल के साथ चार्ल्स द्वारा सोनिया के पास भिजवा दिया। इस बात का खुलासा उन्होंने सिमी ग्रेवाल के टॉक शो में किया था।

राजीव ने उस इंटरव्यू में बातचीत के दौरान बताया था, "जब पहली दफा मैंने सोनिया को देखा, मैं जान गया था कि वह मेरे लिए ही बनी है। मैंने सोनिया को बहुत ही सरल और सीधे विचारों वाला पाया, जो कभी कुछ भी नहीं छिपाती। वह एक व्यक्ति के तौर पर बहुत ही सुलझी हुई व समझदार हैं।"

अब दोनों अक्सर एक साथ देखे जाने लगे थे और पहली फ़िल्म जो दोनों ने साथ में देखी, वह सत्यजित राय की 'पाथेर पांचाली' थी।

इंदिरा गांधी से सोनिया की पहली मुलाकात

कैंब्रिज में राजीव गांधी भले ही एक आम स्टूडेंट की तरह ही रहे। लेकिन, तत्कालीन भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुत्र होना, उनके जीवन का एक बहुत बड़ा सच था। राजीव ने अपनी मां इंदिरा को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सोनिया के प्रति अपने प्रेम का भी जिक्र किया। इंदिरा को जब यह पत्र मिला, तब उन्होंने अपनी चाची विजयलक्ष्मी पंडित के साथ चर्चा की और उनकी सहमति के बाद उन्होंने होनी होने वाली बहू से मिलने का फैसला किया।

1965 में जब इंदिरा गांधी ने नेहरू एक्सहिबिशन के लिए लंदन के लिए उड़ान भरी, तब ही राजीव ने पहली बार सोनिया को अपनी मां से मिलवाया। उस समय राजीव और सोनिया दोनों ने ही एक-दूसरे के साथ शादी करने का मन बना लिया था। एक खुले विचारों वाली राजनीतिक नेता होने के कारण इंदिरा उन दोनों के प्रेम के बीच नहीं आना चाहती थी। लेकिन, उन्होंने सोनिया को आखिरी फैसला लेने से पहले एक बार भारत का दौरा करने की सलाह दी।

सोनिया के पिता थे परेशान

इंदिरा गांधी ने दोनों के फैसले को स्वीकार कर लिया। लेकिन इस बात को जानने के बावजूद भी सोनिया के पिता स्टीफनो माइनो अपनी बेटी के फैसले को लेकर थोड़ा शंका में थे, स्टीफनो माइनो अपनी बेटी को इतनी दूर के देश में भेजने को लेकर परेशान थे। उन्हें राजीव तो पसंद थे, लेकिन अपनी बेटी की एक राजनीतिक परिवार में शादी होने को लेकर वो काफी चिंतित भी थे और बिल्कुल उत्सुक नहीं थे। 

जैसा हम सबको पता है कि यह इतिहास की सबसे चर्चित प्रेम कहानी थी। उसके बाद राजीव 1967 में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी किये बिना ही भारत लौट आए। कुछ ही समय बाद जब सोनिया 21 वर्ष की हो गयी, तब उन्होंने भी भारत आने का फैसला कर लिया। कैंब्रिज से वापस आने के बाद राजीव गांधी पायलट बन गए और शादी की शुरुआत से पहले सोनिया गांधी बच्चन परिवार के साथ रहीं।

पहली नज़र की मोहब्बत बदली सात जन्मों में

इंदिरा गांधी समझ चुकी थीं कि राजीव और सोनिया दोनों एक-दूसरे को लेकर काफी सीरियस हैं, इसलिए फालतू की अफवाहों और ख़बरों से बचने के लिए इन दोनों की शादी जल्द ही करने का फैसला किया। इंदिरा गांधी ने शादी की सभी तैयारियां खुद के निरीक्षण में करवाई और उन्होंने ही सभी समारोहों का आयोजन भी कराया।

1968 जनवरी के आखिर में राजीव और सोनिया की इंगेजमेंट हो गयी और उनका मेहंदी समारोह नयी दिल्ली में विलिंग्दोन क्रिसेंट में बच्चन के घर पर हुआ।

25 फ़रवरी 1968 वो दिन था, जब सोनिया और राजीव की पहली नज़र की मोहब्बत को सात जन्मों के लिए एक साथ होना था। प्रधानमंत्री आवास के बाहर पत्रकारों का बड़ा हुजूम था। समारोह की एक झलक पाने के लिए, उसे अपने कमरे में कैप्चर करने के लिए पत्रकारों का जमावड़ा लगा हुआ था। प्रधानमंत्री आवास के पीछे का बगीचा राजीव-सोनिया के दो दिलों के मिलने की जगह बना। इस हाई प्रोफाइल शादी समारोह में कई प्रसिद्ध राजनेता, कारोबारी और मशहूर हस्तियां शामिल हुई।

वहां फूल, रंगोली, बेहतरीन बुफे और मदहोश करने वाला संगीत सब कुछ था पर, पंडित जवाहर लाल नेहरू की अनुपस्थिति वहां पर सभी व्यक्तियों को महसूस हुई। हालांकि, उनकी मां, बहनें और मामा समारोह का एक हिस्सा थे। अगले दिन हैदराबाद हाउस में एक भव्य रिसेप्शन का आयोजन भी किया गया।

राहुल-प्रियंका का हुआ जन्म

राजीव गांधी सबसे पहले एक पारिवारिक व्यक्ति थे, फिर कुछ और। शादी के करीब दो साल के अंदर, 19 जून 1970 को राजीव गांधी और सोनिया गांधी की पहली संतान राहुल गांधी के रूप में हुई। तो 12 जनवरी 1972 को सोनिया गांधी ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने प्रियंका रखा।

सोनिया सबसे पहले एक पत्नी और मां थी, वह कभी नहीं चाहती थी कि राजीव गांधी राजनीति से जुड़े। राजीव खुद भी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे।

राजीव गांधी ने सोनिया से यह वादा भी किया था, कि वह कभी इस लोभी पेशे का हिस्सा नहीं बनेंगे।

संजय गांधी की अचानक मृत्यु के बाद, राजीव गांधी को अपनी मां की मदद करने के लिए अपनी पत्नी को दिए वादा को तोडना पड़ा। सोनिया उन दिनों बहुत दिनों तक रोई थीं, जब राजीव ने अपने परिवार के नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया। इससे उन दोनों के बीच बहुत दिनों तक सही से बात भी नहीं हुई। लेकिन, राजीव गांधी ने देश की सत्ता संभाली और भारत देश के 6वें प्रधानमंन्त्री बने। उन्होंने अपने कार्यकाल में देश हित में कई बड़े फैसले लिए।  

इसके बाद सोनिया यह समझ चुकी थी कि उनके पति ने जो किया, वह उनका उनके देश के प्रति दायित्व था।

काश! इस प्रेम कहानी का अंत भी उतना ही सुखद होता, जितना शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ द्वारा लिखित कहानियों का होता है। लेकिन, 1911 में राजीव की हत्या कर दी गयी, जिसने उनके परिवार और पूरे देश को एक बड़ा झटका दिया।

जिसके बाद सोनिया ने गांधी परिवार के लिए राजनीति में प्रवेश किया और बाकी कहानी वैसी ही चलने लगती है, जैसा इतिहास में लिखा गया है।

Rajiv Gandhi and Sonia Gandhi

सत्ता और राजनीति की बातों तले, इन दोनों की ये प्रेम कहानी कहीं दब-सी जाती है। इस कहानी में एक बात है, जो हर इंसान को इन दोनों की तरफ आकर्षित करती है; वो है इनका इश्क़। राजीव- सोनिया सिर्फ एक-दूसरे से प्यार करते थे और ता-उम्र वही करना चाहते थे। लेकिन, ईश्वर को ये मंजूर न था और जो हुआ, उसका पूरा देश गवाह है। राजीव गांधी की मौत के बाद आज सोनिया सिर्फ उनके सपनों को पूरा करने के लिए जी रहीं हैं।  

आपको इन दोनों की प्रेम कहानी कैसी लगी? कमेंट करके हमें ज़रूर बताएं।

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