विवेक ओबेरॉय ने पिता सुरेश से कही थी सरनेम छोड़ने की बात, एक्टर ने संघर्ष के दिनों ​को किया याद

हाल ही में, एक इंटरव्यू में विवेक ओबेरॉय ने अपने जीवन के संघर्ष के दिनों को याद किया है। आइए आपको बताते हैं कि, अभिनेता ने उस समय अपने पिता से सरनेम तक छोड़ने की बात क्यों कही थी।

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By Deeksha Priyadarshi Last Updated:

विवेक ओबेरॉय ने पिता सुरेश से कही थी सरनेम छोड़ने की बात, एक्टर ने संघर्ष के दिनों ​को किया याद

फिल्म निर्माता सुरेश ओबेरॉय (Suresh Oberoi) के बेटे होने के बावजूद एक्टर विवेक ओबेरॉय (Vivek Oberoi) ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। विवेक अपनी दमदार एक्टिंग के बलबूते पर अपने फैंस के दिलों पर राज करते हैं। फिल्म 'साथिया' से लेकर हाल ही में रिलीज हुई सफल वेब सीरीज 'इनसाइड एज 3' तक उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है।

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फिल्म इंडस्ट्री के अधिकांश अभिनेताओं की तरह, विवेक ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और एक अच्छा अभिनेता बनने के लिए काफी संघर्ष किया है। हाल ही में, 'ज़ूम डिजिटल' के साथ अपने एक इंटरव्यू में विवेक ने अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष के बारे में बातचीत की है। उन्होंने अपनी असफलताओं से निपटने के बारे में बात करते हुए, अपने जीवन के उस पल को याद किया, जब वो एक्टर बनने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

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विवेक ने एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा, "मैं अपने पिता के पास गया, शायद उस समय मैं 22 या 23 साल का था। मैंने अपने पिताजी के पास जाकर कहा कि, मैं नहीं चाहता कि आप मेरे लिए फिल्में बनाएं और उन्होंने कहा 'क्या तुम पागल हो? मगर, मैं अपनी बात पर टिका रहा था। मैं नहीं चाहता था कि, पापा मेरे लिए फेवर करें। मैंने पापा से कहा कि, आपने ये सब अपने दम पर बनाया है और मैं भी ऐसा ही करना चाहता हूं।"

विवेक ने आगे बताया कि, उनके पिता इस बात से काफी नाराज हुए थे। विवेक आगे की बात बताते हुए कहते हैं, "उन्होंने मुझे समझाया कि, ये सब बनाने के लिए मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा था और संघर्ष बहुत कठिन होता है। मगर, मैं नहीं माना और मैंने कहा कि, मैं भी संघर्ष करूंगा। पापा ने फिर मुझे कहा कि, अरे तुम संघर्ष कैसे कर सकते हो? तुम सुरेश ओबेरॉय के बेटे हो। मैंने इस बात से गुस्सा होकर पापा को ये तक कह दिया था कि, मैं अपना सरनेम छोड़ दूंगा। मैं सिर्फ विवेक आनंद रहूंगा और मैं संघर्ष करूंगा। मैं घर-घर जाऊंगा। मैं ऑफिस से ऑफिस जाऊंगा। मैं लाइन में खड़ा रहूंगा। मैं अपना पोर्टफोलियो, पुरस्कार और प्रमाण पत्र के दम पर काम मांगूगा, जो मैंने इंटर-कॉलेज और राष्ट्रीय युवा उत्सवों में जीते थे। मैंने इतना थिएटर किया था। मुझे खुद पर भरोसा था कि, मैं अपने दम पर एक्टर बन सकता हूं।"

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विवेक ने अपनी बातचीत में आगे बताया कि, आखिरकार उनके सारे अनुभव और लगभग 2 साल संघर्ष के बाद वो दिन आया जब उन्हें उनकी पहचान मिली। विवेक ने आगे कहा कि, हर अस्वीकृति ने उन्हें मजबूत बनाया और उन्हें खुद पर विश्वास करना सिखाया है। विवेक ने कहा, "क्योंकि इंडिया में एक चीज बहुत मिलती है और वो भी बिलकुल फ्री, वो है सलाह। हर किसी ने मुझे अभिनेता नहीं बनने की सलाह दी और इससे मुझे एहसास हुआ कि, मैं खुद पर और अपने सपनों पर कितना विश्वास करता हूं।"

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फिलहाल, हमें लगता है कि, एक्टर विवेक ओबेरॉय के संघर्ष की कहानी से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। तो, आपकी इसके बारे में क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं साथ ही कोई सुझाव हो तो अवश्य दें।

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