By Shashwat Mishra Last Updated:
ज़िन्दगी जीना ख़ुशनुमा होता है, ज़िन्दगी किसी के साथ जीना एक सफ़र जैसा होता है। ज़िन्दगी के सफ़र में हमसफ़र अगर ख़ुद की मर्ज़ी से मिल जाए, तब तो भगवान से औऱ इस कुदरत से, किसी और चीज़ को पाने की चाहत ही मिट जाती है। हम आपको एक ऐसे इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने सिर्फ़ अपनी पढ़ाई और अपने हमनवा के साथ की बदौलत वो मक़ाम हासिल किया, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। ये कहानी किसी सेलेब्रिटी की नहीं, ना ही किसी राजनेता की है। बल्कि, ये कहानी चेन्नई के एक छोटे से फ्लैट में अपना बचपन बिताने वाले सुन्दर पिचाई की है। जो मौजूदा वक़्त में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक 'गूगल' का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सुन्दर पिचाई गूगल के सी.ई.ओ. हैं। इनके इस ओहदे तक पहुंचने में सालों की मेहनत, ईमानदारी, धैर्य, शालीनता औऱ अपने हमसफ़र पर भरोसा करना प्रमुख वजहें हैं। सुन्दर पिचाई के इन्हीं गुणों औऱ अपनी पत्नी के साथ व भरोसे की वजह से ही, वह अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो सके।
सुन्दर पिचाई की प्रोफ़ेशनल लाइफ से तो लगभग हर कोई वाकिफ़ है। लेकिन, उनकी निज़ी ज़िन्दगी के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता होगा। इस आर्टिकल में हम आपको सुन्दर पिचाई और उनकी पत्नी अंजली पिचाई की लव स्टोरी के बारे में बताएंगे। इन दोनों की लव स्टोरी किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है...
सुन्दर पिचाई एक बेहद साधारण इंसान की तरह रहते हैं। इनका जन्म 10 जून 1972 को हुआ था। इनके पिता एक ब्रिटिश कंपनी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। जबकि, इनकी मां स्टेनोग्राफर थीं। वो अपने परिवार के साथ चेन्नई के एक फ्लैट में रहते थे। यहां उन्होंने अपनी शुरूआती ज़िन्दगी का अधिकतम समय गुज़ारा। इस फ्लैट में न तो टीवी था और न ही उनके पिता के पास कार। शायद इन्हीं कारणों से उन्हें चीज़ों की कद्र करने की आदत पड़ गयी, जो आने वाले समय में अंजली के साथ उनके रिश्ते में भी दिखा।
''अलग-अलग जगहों से आए दो लोग एक कॉलेज में एडमिशन लेते हैं। दोनों की मुलाक़ात होती है। दोनों एक ही बैच के स्टूडेंट(क्लासमेट) होते हैं। दोनों की दोस्ती हो जाती है। दोनों एक-दूसरे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने लगते हैं। फिर लड़का, लड़की से अपनी मोहब्बत का इज़हार कर देता है। लड़की हां बोलती है औऱ फिर... '' ये कहानी बिल्कुल सुन्दर-अंजली की प्रेमकहानी जैसी ही है। दरअसल, सुन्दर और अंजली दोनों मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी-खड़गपुर में आते हैं। दोनों का एक ही बैच रहता है। शुरूआती दो सालों की पढ़ाई के दौरान दोनों एक-दूसरे के साथ काफ़ी वक़्त गुज़ारते हैं। दोनों के अंदर एक-दूजे के लिए जज़्बातों ने जगह बनाना शुरू कर दिया था। फिर, इजीनियरिंग के तीसरे साल में सुन्दर अपने प्यार को अंजली से बयां कर देता है। अंजली सलीके से अपने दोस्त को अपनी ज़िन्दगी के ख़ास शख़्स के रूप में अपना लेती है।
पिचाई अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि, बिना स्मार्टफ़ोन के उसको (अंजली) कॉलेज के एकमात्र गर्ल्स हॉस्टल 'सरोजनी नायडू हॉल' से बुलाना बहुत मुश्किल था। उन्होंने एक बार कहा था- ''मैं अंजली से आईआईटी- खड़गपुर में मिला औऱ वो मेरी क्लासमेट थी। किसी को भी गर्ल्स हॉस्टल से बुलाने के लिए आपको उसके सामने जाकर कहना चाहिए कि कोई तुम्हें बुला रहा है, और वो अंदर जाते और ज़ोर से चिल्लाकर कहते- अंजली, सुन्दर बाहर है। ये बिल्कुल सुखद अनुभव नहीं था।''
"... और फिर कहानी में एक ट्विस्ट आता है। कॉलेज ख़त्म होने के बाद लड़का अपनी बाक़ी की पढ़ाई के लिए विदेश चला जाता है। क्योंकि लड़का पैसों से इतना मज़बूत नहीं होता है कि वो रोज़ाना फ़ोन पर बातें कर सके या लड़की से मिलने आ सके। इसलिए दोनों के बीच छः महीने तक कोई बातचीत नहीं हो सकी। तो क्या इनका रिश्ता टूट गया? बिल्कुल नहीं..." कॉलेज ख़त्म होने के बाद परिस्थितियां बदलने लगी थी। सुन्दर-अंजली की प्रेम कहानी को अब एक इम्तिहां से गुज़रना पड़ा। जहां सुन्दर को बाक़ी की पढ़ाई के लिए अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी जाना पड़ा। तो इस दौरान अंजली भारत में ही थी। सुन्दर आर्थिक रूप से मज़बूत नहीं था, इसीलिए वो अंजली से फ़ोन या किसी और माध्यम से बात नहीं कर सका। दोनों के बीच सात समंदर का फासला था, लेकिन सुन्दर-अंजली के रिश्ते की प्रेम-ड़ोर इतनी मज़बूत थी कि इन दूरियों का उनके रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ा। दोनों के बीच छः महीने तक कोई बातचीत नहीं हो सकी। दोनों की मुलाकातें सिर्फ़ एक-दूसरे के ख़्वाबों में होती। इन्हीं दूरियों की वजह से इनका रिश्ता मज़बूत हो सका।
"... बिल्कुल नहीं... इनका रिश्ता अटूट होने जा रहा था। लड़की भी लड़के के पीछे-पीछे विदेश पहुंच गयी थी। लड़के को अच्छी नौकरी मिल जाती है। लड़का-लड़की दोनों अब शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं। लेकिन लड़का ये शादी लड़की के घरवालों की रज़ामंदी से ही करना चाहता है..." सुन्दर पिचाई को पढ़ाई के बाद अमेरिका में ही एक सेमीकंडक्टर फर्म में नौकरी मिलती है। दूसरी तरफ अंजली भी अमेरिका पहुंच जाती हैं। कुछ वक़्त तक नौकरी करने के बाद सुन्दर औऱ अंजली घर बसाने के बारे में सोचते हैं। शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं। लेकिन सुन्दर शादी करने के लिए अंजली के परिवारवालों की इजाज़त चाहता था। सहमति मिलने के बाद सुन्दर औऱ अंजली ने ब्याह रचाकर, सात वचनों से बंधकर, साथ जीने औऱ मरने की कसमें खायी। जिसके बाद से दोनों ने अमेरिका की नागरिकता स्वीकार कर ली, औऱ वहीं रहने लगे।
"अब दोनों की शादी हो चुकी होती है। लड़का-लड़की अब पति-पत्नी हो जाते हैं। दोनों ख़ुशी से जीवन गुज़ार रहे होते हैं। हर पत्नी जैसे अपने पति को ग़लत-सही का बोध कराती है, पति के हर फैसले में उसकी मदद करती है। उसी तरह उसने भी अपने पति को एक सलाह दी, औऱ इस सलाह ने इसके पति को उस ऊंचाई पर लाकर खड़ा कर दिया, जिसका सही मायनों में वो हक़दार था।" सभी लोग सुन्दर की सफ़लता का श्रेय अंजली को ही देते हैं। क्योंकि अंजली ही वो शख़्स थी, जिन्होंने अपने पति को गूगल न छोड़ने की सलाह दी थी। दरअसल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनी ने सुन्दर को सी.ई.ओ. का पद ऑफर किया था। जिसके बाद सुन्दर गूगल को छोड़ने के बारे में विचार करने लगा। लेकिन, अंजली सुन्दर को ऐसा न करने की सलाह देती हैं। सुन्दर ने अंजली की इस बात को माना, औऱ नतीज़ा आज हम सबके सामने है। सुन्दर को याहू औऱ ट्विटर जैसी कंपनियों ने अपने यहां नौकरी देने की इच्छा ज़ाहिर की थी।
"पति-पत्नी के बीच रिश्ता आगे बढ़ता है औऱ कुछ दिनों बाद दोनों दो बच्चों के माता-पिता बन चुके होते हैं। पेरेंट्स के पास दौलत-शोहरत दोनों रहती है, लेकिन इसके बावजूद ये दम्पति बड़ी सादगी औऱ साधारण ढ़ंग से अपना जीवन बिता रहे होते हैं..." सुन्दर औऱ अंजली सैन फ्रांसिस्को के लॉस एल्टॉस हिल्स में ख़ुशी से रहते हैं। इनके घर को स्वैट मियर्स आर्किटेक्चरल ग्रुप के रॉबर्ट स्वैट ने शानदार तरीक़े से डिज़ाइन किया है। इतने अमीर होने के बाद भी दोनों बड़े साधारण ढ़ंग से अपनी ज़िन्दगी जी रहे हैं। इनके दो बच्चे भी हैं, जिनका नाम काव्या(लड़की) औऱ किरन(लड़का) है।
... तो ये थी एक ऐसी लव स्टोरी, जिससे हम इंस्पायर हो सकते हैं। हम ऐसी सकारात्मकता को अपने निज़ी जीवन औऱ तौर-तरीक़ों में उतार सकते हैं। हम ख़ुद पर विश्वास कर सकते हैं। इस बात पर यक़ीन कर सकते हैं, कि ''अग़र ज़िन्दगी में हमनवा का साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, किसी भी मुश्क़िल को पार किया जा सकता है।''
वैसे, आपको दुनिया के इस सफ़ल शख़्सियत की लव स्टोरी कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं, साथ ही कोई सुझाव हो तो वो भी दें।