भारत की पहली होम शेफ Tarla Dalal: पति के सपोर्ट से 'पद्म श्री' पुरस्कार पाने तक, ऐसी रही जर्नी

यहां हम आपको भारत की पहली हाउस शेफ दिवंगत तरला दलाल की लाइफ जर्नी के बारे में बता रहे हैं, जिसने कई लोगों को प्रेरित किया है और भारत के इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है।

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By Shivakant Shukla Last Updated:

भारत की पहली होम शेफ Tarla Dalal: पति के सपोर्ट से 'पद्म श्री' पुरस्कार पाने तक, ऐसी रही जर्नी

तरला दलाल (Tarla Dalal) भारत की पहली हाउस शेफ थीं और अपने काम से उन्होंने न केवल देश भर से अपार प्यार हासिल किया, बल्कि साल 2007 में प्रतिष्ठित 'पद्म श्री' पुरस्कार भी अपने नाम किया। फेमस इंडियन वुमेन शेफ का जन्म 3 जून 1936 को हुआ था और उन्होंने भारत में भोजन बनाने की कला के दृष्टिकोण को बदल दिया। एक शेफ और कुक बुक राइटर के रूप में पहचान पाने से लेकर पॉपुलर कुकिंग शो होस्ट करने तक, तरला का नाम उनके जाने के बाद भी लगभग हर भारतीयों के घरों में फेमस है।

तरला दलाल की बायोपिक में हुमा कुरैशी ने निभाया है उनका किरदार

वैसे तो, तरला दलाल अपने आप में एक फेमस पर्सनैलिटी रही हैं, लेकिन पॉपुलर फिल्म निर्माता पीयूष गुप्ता ने नई जनरेशन को उनका जादू दिखाने की पहल की है। निर्देशक ने भारत की मशहूर शेफ के जीवन पर एक फिल्म बनाई है और फिल्म का टाइटल 'तरला' है। तरला दलाल का किरदार बेहद टैलेंटेड अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने निभाया है। यह फिल्म 7 जुलाई 2023 को ओटीटी प्लेटफॉर्म 'जी5' पर रिलीज हुई है।

Tarla Dalal biopic

तरला दलाल का 'भारत की पहली होम शेफ' बनने का सफर

आइकॉनिक शेफ तरला दलाल का जन्म और पालन-पोषण पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। उनके फैमिली बैकग्राउंड या शैक्षिक योग्यता के बारे में अधिक डिटेल्स पब्लिक डोमेन में मौजूद नहीं हैं। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, तरला ने इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री हासिल की है। कम उम्र से ही उनका खाना पकाने की ओर रुझान था। कई रिपोर्टों के अनुसार, जब वह 12 साल की थीं, तब तरला ने रसोई में अपनी मां की मदद करना शुरू कर दिया था और उन्हें भोजन पकाने का बहुत शौक था।

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तरला दलाल की शादी और बच्चे

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1960 में तरला दलाल ने अमेरिका बेस्ड इंजीनियर नलिन दलाल से शादी कर ली थी, जिनके पास केमिकल इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री थी। कपल ने साथ में तीन बच्चों संजय दलाल, दीपक दलाल और रेनू दलाल का स्वागत किया। मशहूर शेफ अमेरिका चली गईं और विदेशी धरती पर अपनी कुकिंग स्किल से भारतीय परिवार को खुश करना शुरू कर दिया।

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अमेरिका में रहने के बावजूद वह हमेशा भारतीय व्यंजनों से जुड़ी रहीं और कई प्रयोग किए। जब तरला अपने पति और ससुराल वालों के लिए रोजाना नए-नए व्यंजन बना रही थीं, तब उन्हें नहीं पता था कि वह एक प्रोफेशनल शेफ बनने वाली हैं। उस दौरान, तरला के पति नलिन ने एक बड़ी भूमिका निभाई, क्योंकि जब भी वह नई चीजें आजमाती थीं, तो वह हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करते थे और उनका सपोर्ट करते थे।

तरला दलाल की किताबें और एक राइटर के रूप में जर्नी

तरला दलाल ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया, क्योंकि उनके व्यंजनों ने उनके परिवार में धूम मचाना शुरू कर दिया था। इसलिए, कई लोगों ने उन्हें युवाओं या न्यूली मैरिड कपल्स के लिए कुकिंग क्लासेस शुरू करने की सलाह दी, तरला को यह विचार पसंद आया और उन्होंने शेफ के रूप में अपनी जर्नी में अगला कदम बढ़ाया।

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जल्द ही वह एक राइटर बन गईं और साल 1974 में उन्होंने अपनी पहली कुकबुक 'द प्लेजर्स ऑफ वेजिटेरियन कुकिंग' प्रकाशित की। आने वाले वर्षों में उन्होंने कई किताबें लिखीं और मीडिया जगत में खूब धूम मचाने लगीं। अपने शानदार करियर में तरला ने 100 से अधिक किताबें लिखीं, 10 मिलियन से अधिक कॉपियां बेचीं और खुद को इस विधा में एक बेस्ट राइटर के रूप में स्थापित किया।

तरला दलाल ने शुरू की भारत की सबसे बड़ी इंडियन फूड वेबसाइट 

कुकिंग इंडस्ट्री में तरला दलाल का प्रभाव किताबों से हटकर भी था और यह तब साबित हुआ, जब उन्होंने अपने नाम से सबसे बड़ी इंडियन फूड वेबसाइट शुरू की। इतना ही नहीं, उन्होंने 'कुकिंग एंड मोर' नामक एक द्विमासिक पत्रिका भी प्रकाशित की, जो उनके फैंस के बीच एक बड़ी सफलता भी थी।

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अपनी कुकिंग बुक्स और वेबसाइट के कंटेंट से दिल जीतने के बाद तरला दलाल ने अपने कुकिंग शो 'द तरला दलाल शो' और 'कुक इट अप विद तरला दलाल' से और भी बड़ा प्रभाव डाला। उनके नुस्खे लगभग 25 पत्रिकाओं में छपे और करीब 120 मिलियन भारतीय घरों तक पहुंचे।

तरला दलाल के पुरस्कार

तरला दलाल के कुकिंग स्किल में योगदान को उनके करियर में कई पुरस्कारों के माध्यम से स्वीकार किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित 'पद्म श्री' पुरस्कार भी शामिल है, जो उन्हें 2007 में भारत सरकार से मिला था। इस सम्मान ने उन्हें इस तरह की प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त करने वाली एकमात्र इंडियन कुकिंग पर्सनैलिटी बना दिया। इतना ही नहीं, तरला को 2005 में 'इंडियन मर्चेंट्स चैंबर' द्वारा 'वुमेन आफ द ईयर' के रूप में भी मान्यता दी गई थी।

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जब तरला दलाल के बेटे संजय दलाल ने अपनी मां के बारे में की थी बात

एक बार एक न्यूज पोर्टल के साथ इंटरव्यू में तरला दलाल के बेटे संजय दलाल ने अपनी मां और उनकी जिंदगी के बारे में खुलकर बात की थी। जब उनके प्यारे बेटे से उस व्यक्ति का नाम पूछा गया था, जिन्होंने उनकी मां की जर्नी में उनका सबसे अधिक सपोर्ट किया, तो संजय ने अपने पिता नलिन दलाल का नाम लिया था। प्यारे बेटे ने बताया था कि कैसे उनके पिता उनकी मां के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा थे।

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तरला दलाल का निधन

तरला दलाल अब हमारे बीच नहीं हैं। 6 नवंबर 2013 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। बता दें कि वह अपने परिवार के साथ साउथ मुंबई के 'नेपियन सी रोड' पर रहती थीं। उनकी मृत्यु से पहले ही तरला के पति नलिन दलाल का 2005 में निधन हो गया था।

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फिलहाल, तरला दलाल के जीवन की कहानी यह बताती है कि हमें अपने सपनों को नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि हम कभी नहीं जानते कि वे कब पूरे हो जाएं। तो तरला की अद्भुत जर्नी पर आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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