By Shivakant Shukla Last Updated:
फिल्म निर्माता महेश भट्ट (Mahesh Bhatt) ने हाल ही में अभिनेता अरबाज खान के टॉक शो 'द इन्विसिबल विद अरबाज खान' की शोभा बढ़ाई। यहां महेश ने अपनी लाइफ के हर एक पहलू पर खुलकर बात की। इंटरव्यू में महेश भट्ट ने अपने पिता की एक नाजायज संतान होने से लेकर अपनी मां द्वारा उनकी पहचान छुपाने तक के बारे में बात की। इस दौरान महेश थोड़ा भावुक भी हो गए, जब उनके पिता ने धर्म के कारण उनकी मां का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था।
अरबाज खान ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें अपने पिता के खिलाफ कोई गुस्सा है, तो महेश भट्ट ने झट से कहा, “हां, बहुत लंबे समय से। मैं अपनी नसें नहीं फाड़ सकता और उन्हें अपने बॉडी से बाहर नहीं निकाल सकता। मैं उनसे पैदा हुआ हूं।'' महेश भट्ट ने परवीन के बाद सोनी संग रिश्ते का किया था विरोध, कहा था- 'मैं तुम्हें बर्बाद कर दूंगा' पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी तरफ से सुलह की कोई पहल हुई है। दिग्गज निर्देशक ने बताया, “दुर्भाग्य से, उन्होंने मेरे लिए इसे बहुत कठिन बना दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि आप देखते हैं कि जब मेरी मां की मृत्यु 1998 में हुई थी, तो उनकी एकमात्र इच्छा थी कि अगर मैं मर जाऊं, तो मैं अपने धर्म के अनुसार दफन होना चाहती हूं। मैंने कहा ठीक है।''
आगे महेश ने कहा, ''मुझे याद है कि जब उनका निधन हुआ और मेरे पिता अपनी पत्नी के साथ आए, उस समय उन्होंने उनकी मांग में सिंदूर डाला, तो मैंने कहा 'ओह माय गॉड आप थोड़ा लेट हो गए', जब मैंने मां की तरफ देखा, तो मैं टूट गया, क्योंकि वह हमेशा सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार करते हुए उनकी एक तस्वीर चाहती थीं, लेकिन फिर मैंने अपने पिता से कहा कि 'देखो, हां, उन्होंने मुझसे कहा था कि वह वहीं दफन होना चाहेंगी, जहां उनकी मां को शिया कब्रिस्तान में दफनाया गया था। मैंने उनके चेहरे की ओर देखा और उनका चेहरा सफेद पड़ गया और उन्होंने कहा 'मुझे माफ़ कर दे बेटा मेरा मज़हब मुझे वहां जाने की अनुमति नहीं देता', जिससे मेरा दिल टूट गया, लेकिन मैं उस क्षण क्रोधित नहीं हुआ। अजीब तरह से मैंने कहा कि 'देखो मैं तो बेटा हूं, मुझे तो जाना पड़ेगा, जैसा उन्होंने कहा है मैं वैसा ही करूंगा। यह उनकी आखिरी इच्छा थी। तो ऊपरवाला भी मना नहीं कर सकता है'।''
महेश भट्ट ने अपनी मां और पिता के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा, "जब आप एक नाजायज बच्चे के रूप में कलंकित होते हैं, तो इस बारे में बात करते हैं। मेरा मतलब है कि मेरे माता-पिता यह 1948 में आजादी के बाद के भारत में पैदा हुए थे, मेरी मां एक शिया मुस्लिम थीं और हम शिवाजी पार्क में रहते थे, जिन पर बहुसंख्यक की आस्था है। वहां के ज्यादा लोग हिंदू हैं। उन्होंने अपनी पहचान छुपाई। उन्होंने एक साड़ी पहनी और एक टीका लगाया। मेरे पिता एक बहुत प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता थे, उन्हें मेरी मां से प्यार हो गया था, लेकिन धार्मिक भेद के कारण हम नाजायज थे, इसलिए बचा हुआ खाना हमारे पास आता था। ऐसी थी उनकी कहानी, बस उन्हें प्यार हो गया था।”
बता दें कि महेश भट्ट के माता-पिता नानाभाई भट्ट और शिरीन मोहम्मद अली ने कभी एक-दूसरे से शादी नहीं की थी। महेश भट्ट की मां शिरीन की बहन मेहरबानो हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री थीं। उन्होंने पूर्णिमा के नाम से फिल्मों में काम किया। पूर्णिमा इमरान हाशमी की दादी थीं। आलिया भट्ट के दादा-दादी ने नहीं की थी शादी, जानें कैसी रही नानाभाई और शिरीन मोहम्मद अली की लाइफ
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