Scam 2003: जानें कौन था Abdul Karim Telgi, जिसने किया था 30,000 करोड़ का स्टांप घोटाला

यहां हम आपको 30,000 करोड़ रुपए का स्टांप पेपर घोटाला करने वाले अब्दुल करीम तेलगी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पर 'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' वेब सीरीज बनी है। आइए बताते हैं।

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By Pooja Shripal Last Updated:

Scam 2003: जानें कौन था Abdul Karim Telgi, जिसने किया था 30,000 करोड़ का स्टांप घोटाला

वेब सीरीज 'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' स्टांप पेपर घोटले की कहानी है, जो भारतीय जालसाज अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) के जीवन पर आधारित है। तुषार हीरानंदानी और हंसल मेहता के निर्देशन में बनी इस सीरीज की कहानी मशहूर पत्रकार और न्यूज रिपोर्टर संजय सिंह की हिंदी किताब 'तेलगी स्कैम: रिपोर्टर की डायरी' से ली गई है।

'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' की स्टारकास्ट

'स्कैम 2003' के कलाकारों की बात करें, तो सीरीज में अब्दुल करीम तेलगी का मुख्य किरदार थिएटर एक्टर गगन देव रियार ने निभाया है। उनके लुक से लेकर उठने-बैठने और बोलने तक का तरीका बिल्कुल अब्दुल करीम से मिलता है। उन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे दर्शक अब्दुल को ही स्क्रीन पर देख रहे हों। गगन के अलावा, मुकेश तिवारी, सना अमीन शेख, भरत जाधव, शाद रंधावा और कई अन्य कलाकार भी अहम रोल में हैं।

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अब्दुल करीम तेलगी की कहानी

अब्दुल करीम तेलगी की बात करें, तो उसका जन्म 29 जुलाई 1961 को कर्नाटक में एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उसके पिता भारतीय रेलवे में काम करते थे, जबकि उसकी मां कथित तौर पर एक हाउसवाइफ थीं। अब्दुल तेलगी के बचपन में ही उसके पिता का निधन हो गया था, जिससे उसका परिवार गरीबी के चंगुल में फंस गया था। अपना घर चलाने के लिए उसने सड़कों और ट्रेनों में फल बेचना शुरू कर दिया था। उसने अपनी पढ़ाई के लिए भी कुछ पैसे बचाए थे।

जब सऊदी अरब गया था अब्दुल करीम तेलगी

महीनों की कड़ी मेहनत के बाद, अब्दुल करीम तेलगी कुछ पैसे बचाने में कामयाब रहा और एक इंग्लिश मीडियम स्कूल 'सर्वोदय विद्यालय खानपुर' में एडमिशन लिया, क्योंकि वह पढ़ना चाहता था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वह कुछ काम करने के लिए सऊदी अरब चला गया। हालांकि, वह जल्द ही भारत लौट आया, क्योंकि वह सऊदी में नहीं पहुंच सका था।

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जब अब्दुल करीम तेलगी ने फर्जी पासपोर्ट बनाने किए शुरू

भारत वापस आने के तुरंत बाद, अब्दुल करीम तेलगी की मुलाकात एक ट्रैवल एजेंट से हुई और दोनों ने मिलकर एक छोटी सी कंपनी शुरू की, जो खाड़ी देशों में काम करने और बसने के इच्छुक मजदूरों को नकली मंजूरी दस्तावेज बेचती थी। शुरू में अब्दुल और उसके ट्रैवल एजेंट दोस्त ने खूब पैसा कमाया, लेकिन जल्द ही दोनों पकड़े गए और कुछ समय के लिए जेल में भी रहे।

जेल में अब्दुल करीम तेलगी की राम रतन सोनी से हुई मुलाकात, फिर बदल गई जिंदगी

जेल में रहने के दौरान अब्दुल करीम तेलगी की मुलाकात राम रतन सोनी से हुई, जो एक स्टांप पेपर विक्रेता थे। जेल में रहने के दौरान ही अब्दुल और राम रतन सोनी ने शेयर बाजार, स्टांप पेपर और जाली शेयर पेपर के बारे में जानकारी एक-दूसरे से साझा की। अपनी सजा पूरी करने के बाद अब्दुल ने राम रतन सोनी के साथ मिलकर स्टांप पेपर बनाने का अपना बिजनेस शुरू किया।

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अब्दुल करीम तेलगी ने मुंबई के प्रसिद्ध मिंट रोड पर अपनी प्रेस शुरू की थी। जाली कागजात तैयार करने के लिए उसने 'नासिक सिक्योरिटी प्रेस' से बंद हो चुकी प्रिंटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया था। 6-7 साल में उसने आम लोगों, ब्रोक्रेज, बीमा कंपनियों, बैंकों और अन्य लोगों को अनगिनत जाली स्टांप पेपर बेचे। कथित तौर पर उसका बिजनेस उन दिनों 200 करोड़ रुपए का था।

अब्दुल करीम तेलगी ने कैसे किया 30,000 करोड़ का स्टांप पेपर घोटाला?

अब्दुल करीम तेलगी के पास 300 से अधिक लोग कर्मचारी थे, जो एजेंट के रूप में काम करते थे और उनका फोकस शहर के विभिन्न हिस्सों में अधिक से अधिक नकली स्टांप पेपर बेचने पर होता था। कई रिपोर्टों के अनुसार, कुछ पुलिस अधिकारियों और कई सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई मदद के कारण वह इतना बड़ा घोटाला करने में कामयाब रहा था।

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घोटाला उजागर होने के बाद कई नाम सामने आए थे, लेकिन वह निखिल कोठारी थे, जो एक असिस्टेंट पुलिस इन्वेस्टिगेटर थे, जिनके नाम की खूब चर्चा हुई थी। इसके पीछे कारण यह था कि निखिल की कुल संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा थी, जबकि उनकी सैलरी सिर्फ 9,000 प्रति माह थी।

पुणे पुलिस ने अब्दुल करीम तेलगी को कैसे पकड़ा?

साल 2000 में पुणे पुलिस ने जाली स्टांप पेपर से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था। कुछ महीनों तक चली जांच के दौरान इस घोटाले में अब्दुल करीम तेलगी का नाम सामने आया था। ऐसे में पुणे पुलिस अब्दुल तेलगी पर कड़ी नजर रख रही थी और आखिरकार मामला 'सीबीआई' को ट्रांसफर कर दिया गया। नवंबर 2001 में पुलिस अधिकारियों ने फर्जी कागजात पकड़े जाने के बाद अब्दुल तेलगी को गिरफ्तार कर लिया था। घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद अदालत ने तेलगी को 30 साल की कैद और 202 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

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एचआईवी पॉजिटिव था अब्दुल करीम तेलगी, जेल में ही हुई थी उसकी मृत्यु

जब अब्दुल करीम तेलगी जेल में था, तो उसका एचआईवी टेस्ट पॉजिटिव आया था और इसका उसके स्वास्थ्य पर बड़ा असर पड़ा था। 23 अक्टूबर 2017 को अब्दुल तेलगी का 56 वर्ष की आयु में 'विक्टोरिया अस्पताल' (बेंगलुरु) में कई अंगों के फेल हो जाने के कारण निधन हो गया था।

कौन हैं अब्दुल करीम तेलगी की पत्नी शाहिदा तेलगी और उसकी बेटी सना

बता दें कि अब्दुल करीम तेलगी की शादी शाहिदा तेलगी नाम की महिला से हुई थी। इस कपल की एक बेटी सना हैं, लेकिन न तो शाहिदा और न ही उनकी बेटी सार्वजनिक रूप से सामने आई हैं। मां-बेटी अपने जीवन के अधिकांश समय एक-दूसरे से दूर ही रही हैं। हालांकि, साल 2017 में अब्दुल तेलगी की पत्नी शाहिदा ने अदालत से अपने पति की सभी नौ अचल संपत्तियों को जब्त करने की इच्छा को पूरा करने का आग्रह किया था।

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अब्दुल करीम तेलगी की पत्नी ने अदालत से क्यों किया था अपने पति की संपत्ति को डिस्पोज करने का अनुरोध?

अब्दुल करीम तेलगी की पत्नी शाहिदा तेलगी ने स्वीकार किया था कि जब उनके पति जेल में थे, तो उन्होंने उन्हें एक पत्र लिखा था और उनसे कहा था कि वह अपनी संपत्ति का उपयोग बेहतर उद्देश्य के लिए करें। अब्दुल तेलगी की संपत्ति की कीमत 100 करोड़ थी। हालांकि, अदालत ने न तो प्रस्ताव को स्वीकार किया है और न ही इसे अस्वीकार किया है। रिपोर्टों के अनुसार, यह अभी भी प्रोसेस में है। अब्दुल करीम तेलगी की संपत्तियों में कुछ बंगले, 14 एकड़ जमीन, कई कमर्शियल स्पेस और 13 किराए के कमरे शामिल हैं।

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वैसे, इसमें कोई शक नहीं है कि अब्दुल करीम तेलगी की लाइफ में इतने उतार-चढ़ाव आए हैं, जिसे हंसल मेहता ने 'स्कैम 1992' सीरीज़ की तरह ही बेहतरीन तरीके से अपनी सीरीज 'स्कैम 2003' में दिखाया है। वैसे इस पर आपका क्या कहना है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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