दिग्गज अभिनेत्री नरगिस दत्त की बड़ी बेटी नम्रता दत्त ने हाल ही में, अपनी मां की दर्दनाक सर्जरी, कोमा और उनकी अंतिम इच्छा के बारे में खुलासा किया है। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
फातिमा राशिद के रूप में जन्मीं दिग्गज अभिनेत्री नरगिस दत्त (Nargis Dutt) को भारतीय सिनेमा की प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों में से एक माना जाता था। फिल्म 'तलाश-ए-हक' में पांच साल की उम्र में एक छोटी सी भूमिका निभाने के बाद नरगिस ने 1942 में फिल्म 'तमन्ना' के साथ अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। तीन दशक के लंबे करियर में नरगिस ने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया था, इनमें 'अंदाज़', 'आग', 'बरसात', 'श्री 420', 'चोरी चोरी', 'मदर इंडिया' और भी कई फिल्में शामिल हैं।
नरगिस पहली बार 'दो बीघा ज़मीन' के सेट पर लीजेंड एक्टर सुनील दत्त से मिली थीं और उस समय सुनील एक उभरते हुए सितारे थे, जबकि नरगिस पहले से ही एक हिट स्टार थीं। हालांकि, यह महबूब खान की फिल्म 'मदर इंडिया' के सेट पर था, जब नरगिस और सुनील के बीच प्यार परवान चढ़ा था। 11 मार्च 1958 को नरगिस और सुनील ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी और फिर अपने करीबी लोगों को इस खबर की जानकारी दी थी। अपने दौर की सबसे होनहार अभिनेत्री नरगिस ने अपने बच्चों प्रिया, नम्रता और संजय को पालने के लिए अपना सुपरस्टारडम छोड़ दिया था।
नरगिस दत्त ने अग्नाशय के कैंसर से कुछ दिनों तक लड़ने के बाद 3 मई 1981 को अंतिम सांस ली थी। 'पिंकविला' को दिए एक लेख में नरगिस की बेटी नम्रता ने अपनी मां के कैंसर दर्दनाक सर्जरी और अपनी अंतिम इच्छा को याद किया। नरगिस को 1980 में कैंसर का पता चला था और अपने लेख में नम्रता ने खुलासा किया कि, कैसे उनके पिता सुनील दत्त ने उनकी देखभाल के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। उनके शब्दों में, "पिताजी हर दिन सुबह से रात तक उनके साथ थे। वह उन्हें खाना खिलाते थे, उन्हें साफ करते थे। हम बहनें भी उनकी देखभाल करते थे। मुझे यकीन है कि, वह चुपके से रोते थे, लेकिन पिताजी ने हमें कभी नहीं बताया कि, वह रोते हैं। जब वह अपार्टमेंट में लौटते थे, तो वह उन्हें दूरबीन से देखते थे, मां का कमरा विपरीत दिशा में होता था।"
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नरगिस की सर्जरी के तुरंत बाद अभिनेत्री को आंतरिक रूप से रक्तस्राव शुरू हो गया था, जिसके कारण उनके शरीर को पांच से छह बार फिर से खोलना पड़ा। अपनी दर्दनाक सर्जरी के बाद वह कोमा में कैसे चली गईं, इसका खुलासा करते हुए नम्रता ने आगे कहा, "मां के इलाज के लिए पहले तो उनका अग्नाशय हटा दिया गया था। सर्जरी के तुरंत बाद उन्हें आंतरिक रूप से रक्तस्राव होने लगा। इसके बाद डॉक्टर्स ने पांच से छह बार फिर से उनकी सर्जरी को ओपेन किया, क्योंकि रक्तस्राव रुक नहीं रहा था। जब वे उन्हें सिलाई नहीं कर सके, तो उन्होंने उसे स्टेपल कर दिया। शरीर इतने दर्द से गुजरा कि, वह कोमा में चली गईं।"
उनके कोमा के दौरान नम्रता, प्रिया और सुनील उनसे बात करते थे और एक दिन नरगिस को होश आ गया। कष्टदायी फिजियोथेरेपी और अन्य उपचारों से गुजरने के बाद वह 1981 में यूएस से कैंसर मुक्त होकर भारत लौट आई थीं। जल्द ही नरगिस के अंदर यूरिनरी इंफेक्शन डेवलप हो गया और जटिलताएं बढ़ती गईं, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां वह फिर से कोमा में चली गई थीं। और 3 मई 1981 के मनहूस दिन पर नरगिस ने 52 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था।
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अपने लेख में नम्रता ने नरगिस की अंतिम इच्छा और उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनकी शादी की ड्रेस को पहनने के बारे में खुलासा किया। उनके शब्दों में, "फिल्म 'भारत माता' की दुर्घटना के बाद मां को आग से डर लगने लगा था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि, उन्हें दफनाया जाए। पिताजी ने उसे पूरा किया। अंतिम विदाई के लिए उन्होंने अपनी शादी की ड्रेस एक लाल और हरे रंग की गोटा साड़ी पहनी थी। संजय दत्त की पहली फिल्म 'रॉकी' का प्रीमियर 7 मई 1981 को था। इस दौरान एक्टर की मां के सम्मान में पिताजी और संजय के बीच एक कुर्सी खाली छोड़ दी गई थी। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि वह अपने बेटे की पहली फिल्म देखने की इच्छुक थीं।"
संजय दत्त ने अपनी मां की 41वीं डेथ एनिवर्सरी पर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से उनकी एक फोटो कोलाज शेयर किया है। इसे शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा है, ''एक भी पल ऐसा नहीं जाता, जब मैं आपको याद नहीं करता। मां, आप मेरे जीवन का आधार और मेरी आत्मा की शक्ति थीं। काश मेरी पत्नी और बच्चे आपसे मिले होते, ताकि आप उन्हें अपना सारा प्यार और आशीर्वाद दे सकतीं। मुझे आज और हर दिन आपकी याद आती है!''
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फिलहाल, हम ईश्वर से नरगिस दत्त की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।