'आशा भोसले' (Asha Bhosle) संगीत की दुनिया का एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने कई सुपरहिट गानों को अपनी सुरीली आवाज दी, जिनमें 'परदे में रहने दो', 'चुरा लिया है', 'उड़े जब-जब जुल्फें तेरी', 'जरा सा झूम लू मैं', जैसे अनकों गाने शामिल हैं। यही नहीं बतौर प्लेबैक सिंगर सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने के लिए उनका नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज है। कुल मिलाकर म्यूजिक इंडस्ट्री में उन्होंने कई बुलंदिया हासिल की, लेकिन बात जब उनकी रियल लाइफ की आती है, तो इसमें उनके साथ इसका बिल्कुल उल्टा हुआ जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। तो चलिए आपको आशा भोसले की निजी जिंदगी के बारे में बताते हैं।
आशा भोसले का जन्म 8 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के 'सांगली' में हुआ। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र मे ही आशा को दी थी। लेकिन अपने पिता की मौत के बाद 9 साल की उम्र में उन्हें अपने परिवार के साथ कोल्हापुर आना पड़ा। जहां उन्होंने अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर परिवार के लिए खाने-कमाने के लिए फिल्मों में अभिनय और गाना शुरू कर दिया था।
इसके बाद जहां लता मंगेशकर ने इंडस्ट्री में खुद को बतौर सिंगर स्थापित कर लिया था, तो आशा अभी भी खुद का नाम कमाने के लिए स्ट्रगल कर रही थीं। इस बीच आशा ने एक ऐसा कदम उठाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। दरअसल, वो गणपतराव भोंसले के साथ रिलेशन में थीं, जो लता मंगेशकर के सेक्रेटरी थे। उस समय आशा की उम्र महज 16 और गणपतराव की उम्र 31 साल थी। उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर ये शादी रचाई, जिसके चलते उन्हें अपने पूरे परिवार को छोड़ना पड़ा।
उनकी इस शादी से दोनों बहनों के बीच दरार पैदा हो गई, लेकिन जब आशा के बेटे 'हेमंत' ने जन्म लिया तो उसके बाद मंगेशकर परिवार ने उन्हें फिर से अपना लिया। चीजें पहले जैसी होने लगी थी और परिवार एक साथ आ रहा था, लेकिन गणपतराव अपनी पत्नी के परिवार के करीब होने के पक्ष में नहीं थे, खासकर आशा की बहन लता के।
लता की लोकप्रियता ने गणपतराव को परेशान कर दिया था, क्योंकि उनकी पत्नी आशा को गाने के कोई ऑफर नहीं मिल रहे थे। गणपतराव एक लालची आदमी थे और चाहते थे कि आशा ज्यादा से ज्यादा कमाए। साल 1950 में वो अक्सर आशा को पैसे के लिए परेशान करते थे और उसे लता से मिलने से रोकते थे। उन्होंने पत्नी आशा पर बेवफाई का आरोप लगाया और उनके झगड़े अक्सर हिंसक हो जाते थे। इन सबसे तंग आकर साल 1960 के आसपास दोनों की शादी टूट गई आशा अपने बच्चों के साथ अपनी मां के घर वापस लौट आई। यहां आकर उन्होंने अपने करियर पर फिर से फोकस किया और एक के बाद एक कई हिट गानें इंडस्ट्री को दिए। (ये भी पढ़ें: रिया चक्रवर्ती ने सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में गृहमंत्री अमित शाह से की CBI जांच की मांग)
फैन से हुई दूसरी शादी
गणपतराव को छोड़ना आशा के लिए सबसे अच्छी बात रही थी क्योंकि उसके बाद उनका करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। उन्होंने 'गुमराह', 'वक़्त', 'आदमी और इंसान', और 'हमराज' जैसी फिल्मों के लिए गाना गाया। इसके बाद उनकी फैन फॉलोइंग लगातार बढ़ती चली गई और मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के बेटे 'राहुल देव बर्मन' भी उनके फैन बन चुके थे। आर डी बर्मन अक्सर अपने पिता के साथ उनके स्टूडियो में जाते थे, उन्होंने पहली बार आशा भोसले को वहीं देखा था। राहुल आशा के फैन थे और उन्होंने उनसे उनका ऑटोग्राफ भी मांगा था।
साल 1966 में आर डी बर्मन ने रीता पटेल से शादी की लेकिन 1971 में उनका तलाक हो गया। वो रीता से इतना परेशान हो चुके थे कि घर छोड़कर होटल में रहने चले गए थे। करीब 10 साल बाद वो मौका भी आया जब आरडी बर्मन ने फिल्म 'तीसरी मंजिल' के लिए आशा भोसले से गाने के लिए संपर्क किया। कई सालों तक बगैर शब्दों के ही आशा और पंचम दा को संगीत करीब ला रहा था। इस दौर में दोनों ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने दिए। बर्मन आशा से 6 साल छोटे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने आशा को शादी के लिए प्रपोज किया। लेकिन आशा अभी भी अपने अतीत की यादों में डूबी हुई थी और पंचम दा के इस शादी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर पा रही थी, लेकिन आखिरकार आशा इस शादी के लिए मान गईं और फिर दोनों 80 के दशक में शादी के बंधन में बंध गए। (ये भी पढ़ें: एक्ट्रेस सोहा अली खान ने शेयर की बेटी की क्यूट फोटो, देखें कैसे इनाया कर रही हैं 'ग्लोब' की सफाई)
उस दौर में आशा और बर्मन की जोड़ी म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज कर रही थी। वो एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। आशा की दूसरी शादी उसकी पहली शादी की तरह नहीं थी क्योंकि ये आपसी समझ, सम्मान और प्यार का रिश्ता था। दोनों अपनी इस प्यार भरी दुनिया में खुश थे, लेकिन ये खुशी ज्यादा समय तक बनी नहीं रह सकी और बर्मन की शराब और लगातार सिगरेट पीने की लत के कारण 80 के दशक के आखिर में ये कपल अलग हो गया। हालांकि, दोनों अक्सर मिलते और साथ में क्वालिटी टाइम बिताते थे।
साल 1994 में आशा जब बर्मन के यहां गईं, तो उन्होंने घर खाली पाया। इसके बाद उसी दिन उन्हें बर्मन के नौकर का फोन आया जिसने उन्हें बताया कि उनके पति की हालत ठीक नहीं लग रही है। ऐसे में आशा अपने बड़े बेटे के साथ वहां गईं और बर्मन को अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और पंचम दा ने 4 जनवरी 1994 को अपनी अंतिम सांस ली। बर्मन के निधन से उस दिन आशा टूट गई थी क्योंकि उन्होंने ऐसे शख्स को खो दिया था जिसने उसे हमेशा उस तरह से प्यार किया, जैसा आशा ने सपना देखा था। (ये भी पढ़ें: श्लोका मेहता और आकाश अंबानी की पहली वेडिंग एनिवर्सरी आज, देखिए कैसे टीना अंबानी ने दी शुभकामनाएं)
पंचम दा की मौत के बाद आशा लाइफ में आगे बढ़ी और अपने काम पर फोकस किया, जिसके बाद उन्होंने फिल्म 'रंगीला' के साथ वापसी की। जहां उन्होंने उस वक्त की यंग एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर को अपनी आवाज दी। उसके बाद उन्होंने कई अन्य बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स पर काम किया और कुछ अपनी खुद की एल्बम भी निकाली।
प्लेबैक सिंगर आशा भोसले ने साबित कर दिया कि वो एक बेहद मजबूत महिला हैं और हम उनकी इस बात का सम्मान करते हैं। तो आपको आशा भोसले की लव लाइफ कैसी लगी? हमें कमेंट करके बताना ना भूलें, साथ ही यदि हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।