ISRO के P Veeramuthuvel हैं सदगुरु के फॉलोअर, कहा- 'चंद्रयान-3 की सफलता में ईशा योग का भी है रोल'

यहां हम आपको 'चंद्रयान-3' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सदगुरु जगदीश के फॉलोअर हैं। आइए बताते हैं।

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By Pooja Shripal Last Updated:

ISRO के P Veeramuthuvel हैं सदगुरु के फॉलोअर, कहा- 'चंद्रयान-3 की सफलता में ईशा योग का भी है रोल'

23 अगस्त 2023 को 'चंद्रयान-3' ने शाम 6:04 बजे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की, जिसके बाद 'भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन' (ISRO) ने इतिहास रच दिया। इसी के साथ अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

'चंद्रयान-3' की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग ने बनाए कई विश्व रिकॉर्ड

भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। चंद्रमा का यह क्षेत्र बेहद उबड़-खाबड़ इलाका और कठोर मौसम वाला है। 'चंद्रयान-3' की दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद अब वैज्ञानिक चंद्रमा के इस अछूते हिस्से का अध्ययन और जांच कर सकते हैं।

CHANDRAYAAN-3

'चंद्रयान-3' का लाइव स्ट्रीम इवेंट भी यूट्यूब के इतिहास में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला लाइव स्ट्रीम बन गया, क्योंकि इसे 8 मिलियन से अधिक लोगों ने देखा। यह रिकॉर्ड पहले स्पैनिश स्ट्रीमर 'इबाई' के पास था, जिसकी लाइवस्ट्रीम को 3.4 मिलियन दर्शकों ने देखा था। यह दुनिया भर में प्रत्येक भारतीय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

मिलिए 'चंद्रयान-3' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल से, जो 'इसरो' के नायाब रत्नों में से एक हैं

वैसे तो 'इसरो' के लिए काम करने वाला हर एक व्यक्ति चंद्रमा पर 'चंद्रयान-3' की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए श्रेय का हकदार है, लेकिन इनमें से 'चंद्रयान-3' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल (P Veeramuthuvel) अधिक पहचान के हकदार हैं, क्योंकि 'चंद्रयान-3' उनके दिमाग की उपज थी।

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'इसरो' के चंद्रमा मिशन की जिम्मेदारी लेने से पहले, पी वीरमुथुवेल बैंगलोर में 'इसरो' मुख्यालय में स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम ऑफिस में डिप्टी डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने ही 'चंद्रयान-3' मिशन के दौरान 'नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (NASA) के साथ बातचीत की थी।

रेलवे तकनीशियन के रूप में काम करते थे पी वीरमुथुवेल के पिता

'इसरो' के फेमस अंतरिक्ष वैज्ञानिक पी वीरमुथुवेल का जन्म तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता पलानिवेल अपने जीवन के अधिकांश समय में रेलवे तकनीशियन के रूप में काम करते थे। रेलवे में अपने पिता की नौकरी की वजह से पी वीरमुथुवेल ने अपनी स्कूली शिक्षा विल्लुपुरम के रेलवे स्कूल में पूरी की।

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'चंद्रयान-3' प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल का एजुकेशनल बैकग्राउंड

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पी वीरमुथुवेल ने एक प्राइवेट पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रवेश लिया था, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। उनके पास 'बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग स्टडीज' की डिग्री भी है, जो उन्होंने अपना कोर्स पूरा करने के बाद एक प्राइवेट कॉलेज से प्राप्त की थी। हालांकि, उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव तब आया, जब उन्होंने 'एनआईटी' त्रिची से इंजीनियरिंग अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की थी। पी वीरमुथुवेल के पास 'आईआईटी मद्रास' से डॉक्टरेट की डिग्री भी है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुयायी हैं पी वीरमुथुवेल

प्रसिद्ध आध्यात्मिक शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु जग्गी वासुदेव भारत के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक हैं। चाहे हम उनके विचारों और मूल्यों के बारे में बात करें या उनके 'ईशा फाउंडेशन' के बारे में, उन्होंने जिस तरह से समाज को आकार दिया है, यह काफी सराहनीय है। दुनिया भर में सद्गुरु के लाखों प्रशंसकों की तरह पी वीरमुथुवेल भी उनके फॉलोअर हैं। 'ईशा फाउंडेशन' के साथ दिल से दिल की बातचीत में 'चंद्रयान-3' के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने सद्गुरु के बारे में बात की थी और उनकी काफी तारीफ भी की थी। 

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उन्होंने कहा था, "इस महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण यात्रा (चंद्रयान -3) के शुरू होने से पहले, मैंने सद्गुरु का आशीर्वाद मांगा। यह मेरा सौभाग्य था कि मैं ईशा योग केंद्र में अपनी पत्नी के साथ सद्गुरु से पर्सनली मिला और इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद व शुभकामनाएं प्राप्त कीं।"

पी वीरमुथुवेल ने बताया- कैसे सद्गुरु के ईशा योग केंद्र ने 'चंद्रयान-3' की सफलता में निभाई अहम भूमिका

'ईशा फाउंडेशन' के साथ उसी साक्षात्कार में पी वीरमुथुवेल ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने वैज्ञानिक पत्रिकाओं में कुछ बेहतरीन शोध पत्रों का अध्ययन किया है और उनके पास अंतरिक्ष अनुसंधान में वर्षों का अनुभव है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि अब तक हमने जो भी जानकारी एकत्र की है, वह सीमित है। अपनी बात को आगे समझाते हुए पी वीरमुथुवेल ने कहा कि जब उन्होंने इस पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के विचार सुने, तो उन्हें एहसास हुआ कि उनका ज्ञान विज्ञान की समझ से परे है। 

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उन्होंने कहा, "मैंने बेस्ट वैज्ञानिक मैगजीन पढ़ी हैं, मेरे रिसर्च पेपर अत्यधिक प्रतिष्ठित मैगजीन्स में प्रकाशित हुए हैं और यहां तक कि 'चंद्रयान-3' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में मैंने लैंडिंग वाहन बनाने के तरीके का अध्ययन करने में बहुत समय बिताया है। मैंने कटिंग-एज टेक्नोलॉजी देखी है, लेकिन फिर भी मैं कहूंगा कि हमारी खोज और अन्य ग्रहों के बारे में हमने जो जानकारी एकत्र की है, वह काफी सीमित है। इन विषयों पर सद्गुरु को सुनने से मुझे एहसास हुआ है कि उनके पास जो भी समझ है, वह प्रकृति में अनुभवात्मक है और हमारे पास जो समझ है, उससे परे है।''

'ईशा योग केंद्र' ने कैसे की 'चंद्रयान-3' मिशन में मदद?

पी वीरमुथुवेल ने उस समय को याद किया, जब उन्होंने 'ईशा योग केंद्र' के एक कार्यक्रम में दाखिला लिया था, जिसने उनमें काफी बदलाव ला दिया था। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने हठ योग कार्यक्रम में भाग लिया था। पी वीरमुथुवेल ने माना कि उन्हें ज्यादा छुट्टी नहीं मिल पाई थी। ऐसे में उन्होंने वीकेंड पर 'ईशा फाउंडेशन' के कार्यक्रमों में शामिल होने की योजना बनाई। वैज्ञानिक ने सद्गुरु के 'इनर इंजीनियरिंग' कार्यक्रम के महत्व पर भी जोर दिया और बताया कि कैसे इससे उन्हें चीजों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नजर से समझने में मदद मिली।

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उन्होंने कहा, "उस समय तक मुझे अपने आंतरिक स्थान के इन सभी पहलुओं के बारे में भी पता नहीं था। मैंने निर्धारित 40 दिनों तक हर दिन दो बार अपना अभ्यास जारी रखा और मुझे अद्भुत महसूस हुआ। फिर मैं आगे और सभी एडवांस कोर्सेस का पता लगाना चाहता था। अगले महीने मैंने एक हठ योग कार्यक्रम में भाग लिया और उसके अगले महीने भाव स्पंदन का पालन किया।"

पी वीरमुथुवेल ने बताया- क्यों उन्होंने अपनी बेटी को जॉइन कराया सद्गुरु का ईशा संस्कृति प्रोग्राम

पी वीरमुथुवेल की पत्नी और बेटी सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अनुयायी हैं। जब इसरो वैज्ञानिक ने ईशा योग केंद्र का दौरा करना शुरू किया, तो यह उनकी पत्नी थीं, जो इसके बारे में काफी उत्सुक थीं। एक बार उन्होंने एक सेशन में भाग लिया, तो उन्हें भी एक अवास्तविक ऊर्जा महसूस हुई और जीवन के बारे में कई बातें समझ में आईं। ईशा योग केंद्र में अपने समय के दौरान, पी वीरमुथुवेल और उनकी पत्नी ने प्रसिद्ध ईशा संस्कृति का भी दौरा किया, जो प्राचीन भारतीय योग प्रणालियों, शिक्षाओं और विज्ञान पर प्राइमरी फोकस के साथ बच्चों के लिए एक कार्यक्रम है।

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ईशा संस्कृति जिस तरह से बच्चों के साथ काम कर रही थी, उससे पी वीरमुथुवेल और उनकी पत्नी काफी प्रभावित हुए थे। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी इसमें शामिल करने का फैसला किया। ईशा फाउंडेशन के साथ अपने साक्षात्कार में पी वीरमुथुवेल ने खुलासा किया कि उन्होंने अपनी बेटी को ईशा संस्कृति में डालने का फैसला क्यों किया। उन्होंने कहा कि वह 'आईआईटी', 'एनआईटी' और भारत के कुछ बेहतरीन संस्थानों में गए हैं, लेकिन ईशा संस्कृति का पारंपरिक दृष्टिकोण कहीं अधिक आकर्षक और अविश्वसनीय है।

पी वीरमुथुवेल ने यह भी खुलासा किया कि ईशा संस्कृति के बारे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के एक बयान ने उन्हें अपनी बेटी को संस्कृति में भेजने के अपने फैसले के बारे में आश्वस्त किया था। वह बयान यह था, "ईशा संस्कृति के छात्र विश्वविद्यालय के लिए नहीं हैं- वे ब्रह्मांड के लिए हैं"। पी वीरमुथुवेल ने कहा कि ईशा संस्कृति उनकी बेटी को भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए सबसे अच्छी जगह है।

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'चंद्रयान-3' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल इन बयानों व खुलासों पर क्या कहना है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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