By Pooja Shripal Last Updated:
रमेशबाबू प्रज्ञानानंद, जिन्हें आर प्रज्ञानानंद (R Praggnanandhaa) के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जो इस समय (अगस्त 2023 तक) केवल 18 वर्ष के हैं। उस उम्र में जब अधिकांश शतरंज खिलाड़ी एक्सपीरियंस लेने और खेल के बेसिक सिद्धांतों को सही करने पर फोकस करते हैं, आर प्रज्ञानानंद पहले से ही एक ग्रैंडमास्टर हैं।
प्रज्ञानानंद अक्सर अपने खेल को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन यह सब 2016 में शुरू हुआ था, जब आर प्रज्ञानानंद केवल 10 साल, दस महीने और 19 दिन की उम्र में शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर बन गए थे। भारतीय ग्रैंडमास्टर को शतरंज की दुनिया में 'Chess Prodigy' का खिताब पहले ही मिल चुका है।
आर प्रज्ञानानंद महान भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उसे और ऊपर लेकर गए हैं। यह 21 अगस्त 2023 को था, जब आर प्रज्ञानानंद ने 'FIDE विश्व कप' के सेमीफाइनल में फैबियानो कारुआना को हराया था। वह विश्वनाथन आनंद के बाद 'FIDE विश्व कप' के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय शतरंज खिलाड़ी बने।
'FIDE विश्व कप' फाइनल में आर प्रज्ञानानंद ने 22 अगस्त 2023 को विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन के खिलाफ मुकाबला खेला था। हालांकि, 35 चालों के बाद यह बराबरी पर समाप्त हुआ था। जिसके बाद दोनों 24 अगस्त 2023 को दूसरे फाइनल के लिए फिर से मिले। हालांकि, इस फाइनल मुकाबले में वह 32 वर्षीय नॉर्वेजियन खिलाड़ी कार्लसन से हार गए।
हालांकि, बहुत से लोग आर प्रज्ञानानंद के शतरंज खिलाड़ी बनने के सफर से अनजान हैं। तो चलिए यहां हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं कि आखिर कैसे वह इतनी कम उम्र में शतरंज के ग्रैंडमास्टर बने और कैसे उनका यह सफर शुरू हुआ था।
भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद का जन्म 10 अगस्त 2005 को तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। उनकी तरह ही उनकी बहन वैशाली भी एक अंतरराष्ट्रीय मास्टर और महिला ग्रैंडमास्टर हैं। जबकि उनके पिता 'टीएससी' बैंक में ब्रांच मैनेजर के रूप में काम करते हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं।
बता दें कि आर वैशाली ने 2018 में महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता था, जब उन्होंने 'रीगा टेक्निकल यूनिवर्सिटी' में आयोजित ओपन शतरंज टूर्नामेंट में अपना फाइनल नॉर्म पूरा किया था, जिसके बाद आर वैशाली ने 2021 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब अपने नाम किया था।
शतरंज के महारथी आर प्रज्ञानानंद के शतरंज की दुनिया में आने की कहानी काफी दिलचस्प है। जब 18 वर्षीय शतरंज ग्रैंडमास्टर अपने बचपन के दिनों में थे, तो वह टेलीविजन पर बहुत कार्टून शोज देखा करते थे। एक समय ऐसा आया, जब उन्होंने टीवी पर कार्टून देखने में बहुत समय बिताना शुरू कर दिया था। तब उनकी ये आदत छुड़वाने के लिए उनकी बहन ने उन्हें शतरंज सिखाया।
आर वैशाली की ये चाल काम कर गई और जल्द ही आर प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलने में अधिक समय बिताना शुरू कर दिया और टीवी पर कार्टून देखना उनके लिए पुरानी बात हो गई। हालांकि, न तो उनकी बहन और न ही उनके माता-पिता ने यह सोचा होगा कि आने वाले वर्षों में आर प्रज्ञानानंद शतरंज में भारत की पहचान वैश्विक मंच पर स्थापित करेंगे।
हालांकि, समय के साथ आर प्रज्ञानानंद के खेल ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया और 2013 में 'विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप अंडर-8' का अपना पहला खिताब जीतने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इससे पहले, फरवरी 2022 में आर प्रज्ञानानंद ने 'एयरथिंग्स मास्टर्स' में विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराया था, जो एक ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट था। मैग्नस कार्लसन पर आर प्रज्ञानानंद की यह जीत ऐतिहासिक थी, क्योंकि कार्लसन को अब तक का सबसे महान शतरंज खिलाड़ी माना जाता है। हालांकि, उन्होंने 20 मई 2022 को 'चेसेबल मास्टर्स' में फिर से अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि दोहराई, जो एक बार फिर से एक ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट था।
आर प्रज्ञानानंद और शतरंज ग्रैंडमास्टर के रूप में उनकी अब तक की यात्रा के बारे में आपके क्या विचार हैं? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।