Sabyasachi Mukherjee की जर्नी: वेटर बनकर किया काम, डिप्रेशन से की लड़ाई और अब हैं 114 करोड़ के मालिक

यहां हम आपको फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी की जर्नी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी इम्प्रेसिव है। आइए आपको बताते हैं।

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By Pooja Shripal Last Updated:

Sabyasachi Mukherjee की जर्नी: वेटर बनकर किया काम, डिप्रेशन से की लड़ाई और अब हैं 114 करोड़ के मालिक

सब्यसाची मुखर्जी (Sabyasachi Mukherjee) फैशन की दुनिया में एक पॉपुलर नाम हैं, जो अपने पॉपुलर लेबल 'सब्यसाची' के फाउंडर हैं। फिल्मी हस्तियों के लिए रेड कार्पेट के लिए ड्रेस तैयार करने से लेकर सेलेब्स ब्राइड्स के वेडिंग आउटफिट तक, सब्यसाची अपने यूनिक और शानदार डिजाइन्स के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने अब तक के करियर में रानी मुखर्जी, कैटरीना कैफ, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, बिपाशा बसु और आलिया भट्ट जैसे सेलेब्स के लिए वेडिंग आउटफिट तैयार किए हैं।

सब्यसाची मुखर्जी 'नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा' के सबसे कम उम्र के बोर्ड सदस्य और 'फैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ इंडिया' के एक एसोसिएट डिजाइनर सदस्य भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए भी कॉस्ट्यूम डिजाइन किए हैं। हाल ही में, डिजाइनर ने 'मेट गाला' में डेब्यू किया और इस इवेंट में रेड कार्पेट पर चलने वाले वह पहले भारतीय डिजाइनर बन गए हैं। यहां हम आपको उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में लोग कम ही जानते होंगे।

Sabyasachi Mukherjee

सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइनर बनने के लिए छोड़ दिया था घर

मध्यवर्गीय बंगाली परिवार में जन्मे सब्यसाची मुखर्जी बचपन से ही डिजाइनर शिल्प कौशल से काफी प्रभावित थे। ऐसे में उन्होंने चांदानगर के 'श्री अरबिंदो विद्यामंदिर' से औपचारिक शिक्षा ली। सब्यसाची की मां सरकार से जुड़े आर्ट कॉलेज में प्रोफेसर थीं और उन्हें हस्तशिल्प में भी गहरी रुचि थी, जबकि उनके पिता भी कार्यरत थे। सब्यसाची के माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा अपने करियर में कुछ बड़ा करें और उनके लिए उन्होंने इंजीनियरिंग को चुना। हालांकि, 15 साल की उम्र में सब्यसाची ने अपने पैरेंट्स को फैशन और डिजाइनिंग में अपनी रुचि के बारे में बताया।

हालांकि, उस समय उनके पिता की नौकरी चली गई। तब उन्होंने सब्यसाची को फैशन और डिजाइनिंग के लिए मना कर दिया। ऐसे में सब्यसाची ने अपने घर से भागने का फैसला किया। रिपोर्ट्स पर विश्वास किया जाए, तो सब्यसाची ने फैशन और 'एनआईएफटी' परीक्षाओं में अपनी शिक्षा के लिए जरूरी फीस जुटाने के लिए कुछ समय तक गोवा में एक वेटर के रूप में काम किया था। डिजाइनर ने कथित तौर पर 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी इंडिया' में अपनी औपचारिक शिक्षा के खर्चों को उठाने के लिए अपनी किताबें भी बेच दी थीं।

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सब्यसाची मुखर्जी ने 20 हजार उधार लेकर शुरू किया था अपना लेबल

1999 में सब्यसाची मुखर्जी ने 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी इंडिया' से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने अपना लेबल बनाने के लिए अपनी बहन पायल से 20,000 रुपए उधार लिए और तीन लोगों के साथ फैशन की दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए पहला कदम रखा।

सब्यसाची मुखर्जी के करियर की सफलता

अपने शुरुआती दिनों में सब्यसाची ने दिन में बेड फिक्स करने और वर्कशॉप्स करने का काम किया और रात में वह अपने डिजाइन्स पर काम करते थे। जो कई सालों तक जारी रहा। 2001 में डिजाइनर को उनके काम के लिए सराहा जाने लगा। उन्होंने 'फेमिना ब्रिटिश काउंसिल' के 'मोस्ट आउटस्टैंडिंग यंग डिजाइनर ऑफ इंडिया अवॉर्ड' को जीता, जिसने उन्हें पॉपुलर टेक्सटाइल डिजाइनर जॉर्जिना वॉन एतज़ोर्फ के साथ इंटर्नशिप के लिए लंदन जाने का मौका दिया।

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इसके बाद जब सब्यसाची भारत वापस आए, तो उन्होंने बेहतरीन काम करना शुरू किया। 2002 में डिजाइनर ने 'इंडिया फैशन वीक' में अपनी शुरुआत की और अपने काम के लिए लोगों का ध्यान खींचा। इसके बाद सब्यसाची ने सिंगापुर में 'मर्सिडीज-बेंज न्यू एशिया फैशन वीक' में ग्रैंड विजेता पुरस्कार के साथ अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय रनवे फैशन शो में अपना हाथ आजमाया, उसके बाद पेरिस में एक वर्कशॉप हुई, जिसमें उन्होंने अपने डिजाइन्स से हर किसी का दिल जीत लिया।

इतनी पहचान हासिल करने के बाद सब्यसाची को नायर सिस्टर में 'ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वार्षिक ब्लैक टाई चैरिटी डिनर फैशन शो' में अपने कलेक्शन को प्रेजेंट करने का ऑफर मिला, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था। उसके बाद, उन्होंने 'न्यूयॉर्क फैशन वीक', 'लंदन फैशन वीक', 'ब्राइडल एशिया' और 'मियामी फैशन वीक' सहित कई प्रतिष्ठित शो में भाग लिया।

उन्होंने संजय लीला भंसाली की फिल्म 'ब्लैक' के साथ सिल्वर स्क्रीन पर अपना लेबल पेश किया और फिर बाकी इतिहास है। अपने डिजाइन्स के अलावा, डिजाइनर ने 'सेव्स' नामक एक परियोजना भी शुरू की। इस प्रोजेक्ट में डिजाइनर हाथ से बुनी हुई साड़ियों को मिनिमम 3,500 रुपए की कीमत पर बेचते थे (अब कथित तौर पर यह लगभग 1,850 रुपए है)। इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय साड़ियों को बढ़ावा देना और मुर्शिदाबाद के पास बुनकरों की आजीविका को बचाना था।

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सब्यसाची मुखर्जी की डिप्रेशन से लड़ाई और आत्महत्या का प्रयास

आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय ऐसा भी आया था, जब सब्यसाची ने डिप्रेशन में आत्महत्या तक करने का फैसला कर लिया था। 'ETPanache' के साथ एक साक्षात्कार में डिजाइनर ने कहा था, "जब मैं 17 साल का था, तब मैं गंभीर डिप्रेशन में आ गया था। मैंने आत्महत्या करने की कोशिश की। यह एक असफल प्रयास था। आज के दिन और समय में मानसिक स्वास्थ्य, लाइफ की तेज गति के साथ ज्यादा क्लीयर हो रहा है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि यह कुछ ऐसा नहीं है, जिसके लिए किसी को शर्मिंदा होने या डरने की जरूरत है, क्योंकि यह काफी सामान्य है। ”

सब्यसाची मुखर्जी की नेट वर्थ

यदि रिपोर्टों पर विश्वास किया जाए, तो सब्यसाची मुखर्जी की कुल संपत्ति 2022 तक 114 करोड़ रुपए है। डिजाइनर के पास कैलिफोर्निया, अटलांटा, लंदन और दुबई के कुछ विदेशी व्यापारियों के साथ कोलकाता, नई दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों में कई स्टोर हैं। इसके अलावा, वह कोलकाता के अलीपोर में 7,250-वर्ग फुट एरिया में फैली भव्य हवेली के मालिक भी हैं। 

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सब्यसाची मुखर्जी की 'मेट गाला 2024' की शुरुआत

सब्यसाची मुखर्जी ने 2024 में अपना 'मेट गाला' डेब्यू किया। इस इवेंट में चलने वाले वह पहले भारतीय डिजाइनर हैं। अपने डेब्यू के लिए उन्होंने बेज पैंट के साथ एक कशीदाकारी कॉटन का विकल्प चुना। शानदार ज्वेलरी ने उनके लुक में ओम्फ फैक्टर जोड़ने का काम किया था।

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फिलहाल, 3 कर्मचारियों के साथ अपने लेबल की शुरुआत करने से 1900 कर्मचारियों तक की सब्यसाची की जर्नी काफी इंस्पायरिंग और शानदार रही है। तो, आपका इस पर क्या कहना है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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