भारत देश में कई धर्म और संस्कृति के लोग रहते हैं और सभी अपने-अपने अंदाज में हर एक त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं। ऐसे ही शादियों में हर धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग अपने रीति-रिवाज और परंपरा के अनुसार ही शादियों की सभी रस्मों को पूरा करते हैं। आज इस स्टोरी में हम आपको असम की शादी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी रस्में काफी मजेदार होती हैं।
असमिया शादी अपनी सादगी और अद्भुत रस्मों की वजह से काफी पॉपुलर है। इनकी शादी में धमाल तो होता है, लेकिन शादी में की जाने वाली रस्मों की सादगी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। तो आइए अब आपको असमिया शादी में पहले दिन से लेकर कपल के रिस्पेशन तक में होने वाली रस्मों के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में जानकर आपको भी काफी अच्छा लगेगा।
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असमिया शादी में दुल्हन के घर में सबसे पहले ‘जुरान’ की रस्म को पूरा किया जाता है। इस रस्म में दुल्हन को घरवालों की तरफ से ढेर सारे गिफ्ट दिए जाते हैं। दूसरी तरफ, दूल्हे की मां अपनी सभी महिला रिश्तेदारों के साथ दुल्हन के घर आती हैं और सभी मिलकर ‘बिया नाम’ का गीत गाती हैं। इस दौरान दुल्हन की मां घर आई सभी महिलाओं का स्वागत करती हैं। इस मौके पर ज़ोराई नाम के एक बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है और फिर घर में आकर दूल्हे की मां दुल्हन को पान, ताम्बूल (सुपारी और मेवा) और गामुसा (असम का सफेद ट्रेडिशनल कपड़ा, जिस पर लाल रंग की कड़ाई होती है) देती हैं। दुल्हन को दी जाने वाली सभी चीजों को दूल्हा छूता है।
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असमिया शादी में ‘जुरान रस्म’ काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस रस्म के दौरान ही दूल्हे की मां अपने घर की होने वाली बहू (दुल्हन) को ब्राइडल ड्रेस देती हैं और फिर तेल दिया की रस्म को पूरा किया जाता है। इस दौरान दूल्हे की मां दुल्हन के सिर पर सुपारी लगाती हैं और उस पर तीन बार तेल डालती हैं। इसके बाद वह सिर पर सिंदूर लगाती हैं और फिर दुल्हन को नारियल, मछली, मिठाई और दो मिट्टी के बर्तन जैसी चीजें देती हैं, जिन्हें दुल्हन भी स्वीकार करती हैं। इस रस्म के बाद एक और खूबसूरत रस्म होती है, जो वाकई बहुत अच्छी है। दूल्हे की मां, दुल्हन की मां को इस दुनिया में प्यारी बेटी लाने के लिए धन्यवाद कहती हैं और बदले में कुछ उपहार देती हैं।
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ये बात तो सभी जानते हैं कि, शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन राजा-रानी के कम नहीं होते हैं। इसी वजह से दूल्हा और दुल्हन के घर में दोनों के स्नान को लेकर भी एक रस्म होती है, जो काफी सुंदर होती है। इस रस्म को पूरा करने के लिए दूल्हा और दुल्हन की मां व परिवार के लोग अपने घर के पास के तालाब पर जाते हैं। इस दौरान वह अपने साथ चावल, दीया, एक जोड़ी सुपारी, पत्ते, चाकू, सिक्का जैसी चीजें लेकर जाते हैं। इस रस्म से बाद, दूल्हा और दुल्हन को सिक्के दिए जाते हैं और उनके दुपट्टे में चाकू भी बांधा जाता है, जिसे वह दोनों शादी खत्म होने तक अपने साथ ही रखते हैं।
असमिया शादी में हल्दी सेरेमनी को ‘नुआनी’ कहा जाता है, जिसकी रस्में उत्तर भारत की हल्दी सेरेमनी की तरह होती हैं। हल्दी सेरेमनी के दौरान दूल्हा और दुल्हन केले के पत्ते से तैयार की गई एक चटाई पर बैठते हैं और फिर दोनों के सिर पर तेल, दही, उड़द की दाल और हल्दी का लेप लगाया जाता है। इस रस्म के दौरान आखिर में दोनों के सिर पर साफ पानी डाला जाता है। ये रस्म दूल्हा-दुल्हन अपने-अपने घर में पूरा करते हैं।
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असमिया शादी में एक बेहद खूबसूरत रस्म होती है, जिसे ‘Daiyan Diya’ कहा जाता है। ये रस्म शादी के दिन होती है, जिसमें दूल्हे की ओर से दुल्हन के लिए खाना भेजा जाता है और वो खाना दुल्हन आधा खाने के बाद फिर से दूल्हे के घर भेज देती है, जिसके बाद आधे बचे हुए खाने को दूल्हा खाता है। ये रस्म दूल्हा-दुल्हन के लिए काफी शुभ मानी जाती है। इस रस्म के मुताबिक, अविवाहित के तौर पर दोनों का वो आखिरी खाना होता है।
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शादी के फंक्शन के ठीक पहले, दुल्हन के रिसेप्शन की रस्म को पूरा किया जाता है। इसके लिए दुल्हन तैयार होकर एक बड़ी सी मेटल की प्लेट में बैठती है और फिर सभी लोगों का अभिनंदन करती है। इसके बाद, जब दूल्हा अपनी बारात लेकर शादी के वेन्यू पर पहुंचता है, तो दुल्हन को तैयार करवाने के लिए ले जाया जाता है।
असमिया शादी में दूल्हे की बारात एक मजेदार रस्म के बाद निकलती है। जब दूल्हा अपनी शादी के लिए तैयार होने जाता है, तब दूल्हे की मां अपने बेटे को तैयार होने से रोकती हैं, इसके लिए वह कमरे के दरवाजे को कपड़े की मदद से बंद कर देती हैं और फिर दूल्हे को तीन बार कपड़े के बीच से ही झांकना होता है। इस रस्म को पूरा करने के बाद दूल्हा तैयार होकर अपनी मां का आशीर्वाद लेता है और अपने परिवार और पूरी बारात के साथ दुल्हन लेने निकल जाता है। असमिया शादी में दूल्हे की मां अपने बेटे की शादी में शामिल नहीं होती हैं।
इस शादी में दूल्हे के स्वागत के दौरान ‘डोरा आहा’ की रस्म को पूरा किया जाता है। ये रस्म काफी ज्यादा मजेदार और यूनिक होती है। सबसे पहले, दूल्हे का स्वागत होता है, और उसके सिर पर चावल के दाने डाले जाते हैं। इसके बाद, दोनों पक्षों के बीच एक प्रतियोगिता होती है, इसके लिए ‘बेस्ट मैन’ दूल्हे को एक छतरी के नीचे लेकर खड़ा हो जाता है और फिर दुल्हन के रिश्तेदार दूल्हे पक्ष के लोगों पर चावल के दाने फेंकते हैं। इसके बाद दुल्हन की मां आगे आती हैं और दूल्हे के गाल पर किस करती हैं। इसके बाद वेन्यू की एंट्री पर ही ‘भोरी धुवा’ नाम की एक रस्म को किया जाता है, जिसमें दुल्हन की छोटी बहन अपने जीजू को सम्मान देने के लिए उनके दोनों पैर धोती हैं और फिर दूल्हा उसे नेग देता है। इसके बाद दूल्हा अपने भाई व दोस्तों के साथ अंदर जाता है।
दूल्हा-दुल्हन की जयमाला और सात फेरे लेने जैसी रस्मों के जरिए शादी संपन्न हो जाती है और फिर कपल की पोस्ट वेडिंग गेम की शुरुआत होती है, जिसका नाम ‘खेल धमेली’ है। इस रस्म के दौरान नवविवाहित जोड़े को चावल से भरा हुआ एक बर्तन दिया जाता है और उसमें एक अंगूठी डाली जाती है। इस अंगूठी को दूल्हा और दुल्हन मिलकर तलाश करते हैं। कहते हैं, जो भी इस अंगूठी को बाहर निकालता है, उसकी नाक हमेशा ऊपर रहती है।
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जिस तरह हर शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूते हैं, उसी तरह असमिया शादी में भी होता है। लेकिन इस रस्म को वहां पर ‘मान धोरा’ का नाम दिया गया है। ये रस्म विदाई से ठीक पहले होती है। इसमें दूल्हा और दुल्हन मिलकर अपने सभी बड़ों के पैर छूते हैं और सभी को कपड़े उपहार के तौर पर देते हैं। इसी तरह, सभी लोग नवविवाहित जोड़े को अपने आशीर्वाद के रूप में गिफ्ट देते हैं।
दुल्हन विदाई के बाद अपने पति के घर आती है, यहां पर उसका बेहद ही शानदार स्वागत किया जाता है और इस स्वागत के बीच ‘घोर घोसोका’ रस्म को पूरा किया जाता है। इस दौरान दुल्हन के पैर धोए जाते हैं और फिर वह घर में आकर मिट्टी का लैंप तोड़ती है, जिसे साकी कहा जाता है। इसके बाद दुल्हन को सीधा मंदिर ले जाया जाता है, जहां पर भगवान को दही चढ़ाती है।
इस तरह शानदार रस्मों और रीति-रिवाज के बीच असमिया शादी के जरिए दो लोग हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूजे के हो जाते हैं। तो आपको इस शादी की कौन-सी रस्म सबसे अच्छी लगी है? हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और अगर आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो जरूर दें।