सिंगर Palash Sen ने बताया- 'पिता की मौत के बाद पहनना शुरू किया मां का मंगलसूत्र', जानें क्यों?

हाल ही में, सिंगर पलाश सेन ने इस वजह का खुलासा किया है कि वह अपने गले में मंगलसूत्र क्यों पहनते हैं? आइए आपको बताते हैं।

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By Pooja Shripal Last Updated:

सिंगर Palash Sen ने बताया- 'पिता की मौत के बाद पहनना शुरू किया मां का मंगलसूत्र', जानें क्यों?

'धूम पिचक धूम', 'कभी आना तू मेरी गली' और 'माएरी' जैसे ब्लॉकबस्टर सॉन्ग देने वाले 'यूफोरिया' बैंड को डॉक्टर व सिंगर पलाश सेन (Palash Sen) की वजह से जाना जाता है, जिन्होंने साल 1998 में मेडिकल छात्रों के ग्रुप वाले इस रॉक बैंड को बनाया था। वैसे तो सिंगर और इस बैंड के गाने लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं, लेकिन एक और वजह है, जिसके कारण पलाश सेन लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं और वह है उनके गले का मंगलसूत्र। हाल ही में उन्होंने मंगलसूत्र को अपने गले में पहनने की वजह बताई है। 

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पलाश सेन क्यों पहनते हैं मंगलसूत्र?

अक्सर आपने पलाश को अपने गले में एक मंगलसूत्र पहने हुए देखा होगा। दरअसल, मंगलसूत्र हर एक हिंदू महिला शादी के बाद अपनी सुहाग की निशानी के तौर पर अपने गले में पहनती है। ऐसे में पलाश सेन का मंगलसूत्र पहनना हमेशा ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। अब सिंगर ने खुद इसके पीछे की वजह बताई है। दरअसल पलाश सेन अपनी मां के बहुत करीब हैं। 'Mashable India' के साथ इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कुछ सालों से वह मंगलसूत्र पहन रहे हैं। वह मंगलसूत्र उनकी मां का है। पलाश ने बताया कि पिता की मौत के बाद मां ने मंगलसूत्र पहनना बंद कर दिया था, इसलिए उन्होंने ब्लैसिंग्स के तौर पर इसे पहन लिया और अब तक पहनते हैं।

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गायक पलाश सेन ने कहा है कि वह अपनी मां के बहुत करीब हैं और उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने कुछ साल पहले उनका मंगलसूत्र पहनना शुरू किया था। अपने इस इंटरव्यू में पलाश ने यह भी कहा कि उनके अपनी मां के साथ 'सबसे ज्यादा झगड़े और मतभेद' होते थे। गायक ने अपनी मां को अपने जीवन में 'नंबर एक व्यक्ति' का नाम दिया है। उन्होंने अपनी मां को 'मजबूत और सख्त' इंसान भी बताया।

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पलाश ने मां को बताया सबसे मजबूत महिला

अपने इस साक्षात्कार में पलाश ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए कहा, "जब विभाजन हुआ तब वह आठ साल की थीं। वह लाहौर से जम्मू तक पैदल चली थीं, क्योंकि आठ साल की अकेली बच्ची चार साल के भाई की देखभाल कर रही थी। वे दोनों सीमा पार से अकेले जम्मू चले गए। वह बहुत मजबूत थीं। वह एक ऐसे स्कूल में गईं, जहां केवल लड़के थे, क्योंकि उस समय जम्मू-कश्मीर में लड़कियों का कोई स्कूल नहीं था। वह 17 साल की थीं, जब उन्होंने अपना घर छोड़ा और लखनऊ में एमबीबीएस किया।"

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अपने पिता के आशीर्वाद के तौर पर पलाश ने पहना मंगलसूत्र

सिंगर ने यह भी कहा, "जब आप इतने मजबूत होते हैं, तो जीवन में आपके फंडे थोड़े मजबूत होते हैं। आप एक कठिन व्यक्ति होते हैं। मुझे लगता है कि इसकी वजह से मां और मेरे बीच बहुत सारी असहमति और झगड़े थे। वह मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनके पास एक मंगलसूत्र था, जिसे उन्होंने तब पहनना बंद कर दिया, जब मेरे पिताजी का निधन हो गया। मैंने मंगलसूत्र पहनना शुरू कर दिया। मैं इसे पहनता हूं। मैं इसे मुख्य रूप से मंच पर पहनता हूं। ऐसा लगता है जैसे उनका आशीर्वाद हर समय मेरे साथ है। मैं उसके साथ एक खार्तूस भी पहनता हूं, जिसे मैंने मिस्र से लिया था। उसमें, मेरे माता-पिता के नाम मिस्र के चित्रलिपि में दोनों ओर हैं।"

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1998 में की बैंड 'यूफोरिया' की स्थापना

जानकारी के लिए बता दें कि पलाश ने 1998 में दिल्ली में अपने बैंड 'यूफोरिया' की स्थापना की थी। बैंड को 'माएरी', 'धूम पिचक धूम', 'आना मेरी गली', 'अब ना जा', 'सोनेया', 'महफूज' और 'सोने दे मां' जैसे हिट ट्रैक के लिए जाना जाता है। पलाश ने 2001 में 'फिल्हाल' के साथ बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत की। मेघना गुलजार द्वारा निर्देशित इस फिल्म में तब्बू और सुष्मिता सेन ने भी अभिनय किया था।

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फिलहाल, पलाश के अपनी मां के मंगलसूत्र को पहनने पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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