जब शर्मिला टैगोर ने पति मंसूर से कहा था- 'झुको मत, टाइगर', सैफ ने पिता के अंतिम क्षणों को किया याद

अभिनेता सैफ अली खान ने हाल ही में, एक इंटरव्यू में अपने पिता और दादा के बारे में बातचीत की है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में।

img

By Shivakant Shukla Last Updated:

जब शर्मिला टैगोर ने पति मंसूर से कहा था- 'झुको मत, टाइगर', सैफ ने पिता के अंतिम क्षणों को किया याद

दिवंगत क्रिकेटर मंसूर अली खान 'पटौदी' (Mansoor Ali Khan Pataudi) ने 1966 में भोपाल 'पटौदी कप' (पोलो) की स्थापना की थी। सैफ अली खान (Saif Ali Khan) अपने पिता की याद में हर साल टूर्नामेंट की मेजबानी करते हैं। हालांकि, वह इस साल इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन खेल के साथ अपने परिवार के जुड़ाव के बारे में सैफ अली खान ने हाल ही में, बातचीत की है। आइए आपको बताते हैं उन्होंने क्या कहा है।

Pataudi Family

दरअसल, 'ई-टाइम्स' के साथ लाइव सेशन में सैफ अली खान से पूछा गया कि, 'कई पीढ़ियों से आपके परिवार का खेलों से घनिष्ठ संबंध रहा है, चाहे वह क्रिकेट हो या पोलो। आपने क्रिकेटर बनने की इच्छा के बारे में भी सोचा था। ऐसे में क्या एक व्यक्ति के रूप में खेलकूद ने आपके पालन-पोषण और सोच में एक अभिन्न भूमिका निभाई है?' इस पर सैफ अली खान ने कहा कि, "बड़े होने के दौरान हमारी फैमिली की फिलोसॉफी हमेशा खेल से ली गई है - निष्पक्ष खेल और खेल-कूद ऐसे मूल्य हैं, जिनके साथ हमें बड़ा किया गया है। मेरे पिता सत्तर साल की उम्र में भी हमेशा खुद को एक खिलाड़ी के रूप में सोचते थे! अस्पताल में अपने अंतिम क्षणों में, वह झुक रहे थे, और मेरी मां ने उनसे कहा था, "झुको मत, टाइगर!", जिस पर उन्होंने हंसते हुए कहा था, "रिंकू, सभी बल्लेबाज झुकते हैं!"

Pataudi Family

(ये भी पढ़ें: शर्मिला टैगोर ने मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने के लिए रखी थी ये शर्त, पूरी करने पर किया था निकाह)

अपने पिता को क्रिकेट खेलते हुए देखने की, अपनी शुरुआती यादों के बारे में बात करते हुए सैफ ने कहा कि, 'अफसोस की बात है कि, मैंने अपने दादाजी को कभी पोलो खेलते नहीं देखा, क्योंकि जब मेरे पिता छोटे थे तब उनकी मृत्यु हो गई थी। यह कुछ ऐसा है, जिसके बारे में हमने केवल तस्वीरें देखी हैं या इसके बारे में बातचीत सुनी हैं। जब हम बड़े हुए हैं, तो यह हमारे चारों ओर रहा है। जब मैं चार या पांच साल का था, तब मेरे पिता ने खेलना बंद कर दिया था। मुझे याद है कि, उन्होंने अपनी ठुड्डी पर पट्टी बांध रखी थी। तभी एंडी रॉबर्ट्स का बाउंसर उनकी ठुड्डी पर लगा और उन्हें काफी टांके लगाने पड़े। और इसके बाद मुझे क्रिकेट को एक हिंसक खेल के रूप में सोचना याद है।'

Sharmila Tagore Family

'आपके पिता ने 1966 में भोपाल पटौदी कप की स्थापना की थी। आप इसे कैसे आगे ले जाना चाहेंगे?' इस सवाल पर सैफ ने कहा कि, 'मेरी मां वहां होंगी। मैं इस साल नहीं जा पाऊंगा, क्योंकि मैं शूटिंग कर रहा हूं, लेकिन मुझे खुशी है कि, मेरा मैनेजमेंट इसका ख्याल रख रहा है। हम कोशिश करेंगे और अगले साल और हर साल वहां रहेंगे। उत्तर भारत मेरे और मेरे पिता के जीवन का एक बड़ा हिस्सा है। मैं वहां अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना चाहूंगा।' 

Pataudi Family

(ये भी पढ़ें: जब शर्मिला टैगोर के घर पटौदी ने भेजे थे 7 फ्रिज, लेकिन नहीं पिघला था एक्ट्रेस का दिल, ऐसी है स्टोरी)

'एक अभिनेता के रूप में आपके लिए, एक ऐसे परिवार में पला-बढ़ा होना कैसा था, जो खेलों में अत्यधिक पारंगत हो?' इस सवाल का जवाब देते हुए सैफ अली खान ने बताया कि, 'खेल खेलने का काफी दबाव था, लेकिन सौभाग्य से, मेरे पास इतने अच्छे और बुद्धिमान लोग थे कि, उन्होंने कभी भी हम पर ऐसा करने के लिए दबाव नहीं डाला। कड़ी मेहनत करना और उसको खुद पर लागू करना एक बात है, लेकिन किसी भी खेल को अच्छी तरह से खेलने के लिए, आपको स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली होना चाहिए। और मुझे लगता है कि, मेरे पास सिनेमा का हुनर अधिक है।'

Sharmila Tagore and Mansoor Ali Khan Pataudi

'आपके परिवार में कई मजबूत महिलाएं शामिल हैं। क्या आप चाहते हैं कि, वे भी इस खेल परंपरा में सक्रिय रूप से शामिल हों?' इसके जवाब में सैफ ने कहा कि, 'जब पोलो की बात आती है, तो वहां मेरी मां की मजबूत उपस्थिति होती है। इसके अलावा सोहा स्पोर्ट्स में भी काफी अच्छी हैं। वह बैडमिंटन खेलती हैं और उस संबंध में उनमें पटौदी का थोड़ा सा खून है। मेरी दादी और परिवार में बहुत सी महिलाएं मजबूत और स्वतंत्र महिलाएं रही हैं, इसलिए हम अपने परिवार में किसी अन्य प्रकार की महिलाओं को नहीं जानते हैं। हम एक स्वस्थ सम्मान और समझ के साथ बड़े हुए हैं कि, एक समान संबंध क्या है और इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ हैं कि, 10 में से नौ बार, एक महिला एक पुरुष की तुलना में अधिक संगठित और होशियार होती है।'

Mansoor Ali Khan

(ये भी पढ़ें: जब हेमा मालिनी ने पति धर्मेंद्र के खिलाफ जाकर ईशा-अहाना को सिखाया था डांस, एक्टर थे नाराज)

फिलहाल, ये बात तो साफ है कि, सैफ भले ही खेल नहीं खेलते हैं, लेकिन अपने पिता की तरह उनका भी लगाव खेलों के आयोजन में जरूर है और वह अपनी इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। तो एक्टर के इस इंटरव्यू के बारे में आपकी क्या राय है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं, साथ ही हमारे लिए कोई सलाह हो तो अवश्य दें।

(फोटो क्रेडिट: इंस्टाग्राम)
BollywoodShaadis.com © 2024, Red Hot Web Gems (I) Pvt Ltd, All Rights Reserved.