आशा पारेख बोलीं- 'भारतीय महिलाएं भूल रहीं पारंपरिक ड्रेस', वेस्टर्न आउटफिट पहनने पर कही ये बात

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख ने भारत के 53वें 'अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह' में भाग लिया, यहां उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के विकास और भारतीय संस्कृति पर पश्चिमीकरण के प्रभाव के बारे में बात की।

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By Shivakant Shukla Last Updated:

आशा पारेख बोलीं- 'भारतीय महिलाएं भूल रहीं पारंपरिक ड्रेस', वेस्टर्न आउटफिट पहनने पर कही ये बात

अनुभवी अभिनेत्री आशा पारेख (Asha Parekhभारतीय फिल्म इंडस्ट्री की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री में उनका सराहनीय काम उनकी प्रतिभा के बारे में बहुत कुछ बताता है। 60 के दशक की दीवा अपने समय की सबसे अधिक फीस पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं। आशा पारेख ने 1952 में फिल्म 'मां' में शम्मी कपूर के साथ एक बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। 

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सबसे पसंदीदा अभिनेत्रियों में से एक होने के अलावा आशा पारेख ने 'कोरा कागज़' और 'कंगन' जैसे कुछ धारावाहिकों को प्रोड्यूस भी किया है। इसके अलावा, वह सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी हैं और इन वर्षों में उन्होंने 'कटी पतंग', 'दो बदन', 'कारवां', 'समाधि', 'कालिया', 'शिकार', 'चिराग', 'जिद्दी', 'घूंघट', 'घराना' और कई अन्य फिल्मों के साथ दर्शकों का मनोरंजन किया है। आशा पारेख की लव लाइफ के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

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हाल ही में आशा पारेख ने गोवा में आयोजित 53वें 'भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव' में शिरकत की। कार्यक्रम के एक सत्र के दौरान प्रतिष्ठित अभिनेत्री ने भारतीय संस्कृति के पश्चिमीकरण के बारे में बात की। बातचीत में आशा पारेख ने यहां तक ​​बात की कि फिल्म इंडस्ट्री कितनी बदल गई है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें यह देखकर दुख होता है कि भारतीय महिलाएं घाघरा-चोली जैसे पारंपरिक परिधानों की तुलना में वेस्टर्न ड्रेस को अधिक पसंद करती हैं। उनके शब्दों में, "सब कुछ बदल गया है। जो फिल्में बनाई जा रही हैं ... मुझे नहीं पता, हम इतने पश्चिमी हैं। लड़कियां गाउन पहनकर शादी में आ रही हैं। अरे भैया, हमारी घाघरा चोली, साड़ियां और सलवार-कमीज भी हैं, वो पहचानो ना आप, उन्हें क्यों नहीं पहनती?"

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आगे बातचीत में आशा पारेख ने कहा कि जब वह भारतीय महिलाओं पर पश्चिमीकरण के प्रभाव को देखती हैं, तो उन्हें दुख होता है। इस बारे में बात करते हुए दिग्गज अभिनेत्री ने कहा कि आजकल महिलाएं सिर्फ अभिनेत्रियों की नकल कर रही हैं। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय महिलाओं से सवाल किया कि वे मोटी होने पर भी पारंपरिक आउटफिट क्यों नहीं पहनती हैं और पश्चिमी ड्रेस क्यों चुनती हैं। दिग्गज अभिनेत्री ने कहा, "वे पर्दे पर सिर्फ अभिनेत्रियों को देखते हैं। स्क्रीन पर देखकर वो जो कपड़े पहने रहे उस तरह के कपड़े हम भी पहनेंगे... मोटे हो या चाहे जो, हम वही पहनेंगे। ये वेस्टर्न होता जा रहा है मुझे दुख होता है। हमारे पास महान संस्कृति, नृत्य और संगीत है। हम इसे पॉप कल्चर में भी ला सकते हैं।"

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आशा पारेख के निजी जीवन की बात करें, तो आशा पारेख 80 साल की उम्र में सिंगल हैं। इससे पहले, अनुभवी सुंदरी 'हार्पर बाजार' पत्रिका के कवर पर दिखाई दी थीं और उसी के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने शादी नहीं करने के अपने फैसले के बारे में बात की थी। आशा पारेख ने अपने विचार साझा करते हुए कहा था कि शादी उनके किस्मत में नहीं थी। उनके शब्दों में, "मुझे लगता है कि शादी उनकी किस्मत में नहीं थी। हालांकि, मुझे इसका बिल्कुल पछतावा नहीं है।" आशा पारेख ने इस व्यक्ति से जिंदगी भर किया प्यार, लेकिन नहीं की शादी, खुद बताई थी इसकी वजह...

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भारतीय संस्कृति के पश्चिमीकरण पर आशा पारेख के विचारों के बारे में आप क्या सोचते हैं? हमें कमेंट में जरूर बताएं।

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